पिछले जन्म का हमें कुछ भी याद क्यों नहीं रहता?

आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि पिछले जन्म का हमें कुछ भी याद क्यों नहीं रहता?

पिछले जन्म का हमें कुछ भी याद क्यों नहीं रहता?

पिछले जन्म का हमें कुछ भी याद क्यों नहीं रहता?

पहले तो यह समझते हैं कि पिछले जन्म से क्या तात्पर्य है?, इसका अर्थ है कि एक जीवात्मा एक शरीर को छोड़ कर दूसरा जन्म लेती है। जैसे एक मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्रों को धारण करता है वैसे ही एक जीवात्मा पुराने शरीर को त्याग कर नए शरीर में प्रवेश करती है।

पुरानी बातों को भूल जाना सही या गलत?

भूलने की बात की जाए तो प्रकृति ने मनुष्य का दिमाग भूलने के लिए ही बनाया है। हम प्रतिदिन के जीवन से जुड़ी छोटी-मोटी बातें भूल जाते हैं और आपने देखा होगा कि समय के साथ-साथ मन के घाव भी भर जाते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो यदि हमारे अंदर भूलने की प्रवृत्ति नही होगी, तो हम अपने जीवन की खट्टी-मीठी बातों को भुला कर एक नई शुरुआत नही कर पाएंगे और आगे नहीं बढ़ पाएंगे, अर्थात समय के साथ पुरानी बातों को भूल जाना और नई बातों को अपनाने में ही भलाई है।

कुछ मुट्ठीभर लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अपने पूर्व जन्म की कुछ बातें याद आ जाती हैं, जैसे कि उनका नाम, वह जगह जहां वह रहते थे, उनके माता-पिता का नाम आदि, परंतु यह बहुत कम लोगों के साथ होता है।

विज्ञान के अनुसार हम पिछले जन्म की बाते याद क्यों नहीं रख पाते है?

बहुत से वैज्ञानिक ऐसा मानते है कि पिछले जन्म की बातों को याद न रख पाना शरीर में मौजूद एक रसायन ऑसीटॉसिन की वजह से होता है। जब एक स्त्री मां बनने वाली होती है तब गर्भ धारण के दौरान मां के गर्म से ऑसीटॉसिन निकलता है। यदि यह तत्व बच्चे के साथ ही बाहर आ जाए तो पूर्व जन्म की बातों को याद रखा जा सकता है।

इसके साथ-साथ यदि पूर्व जन्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी दुख की वजह से हुई हो, तो ऐसे में भी जीव को उसके पिछले जन्म का सब कुछ याद रहता है। इस विषय मे पुराणों में स्पष्ट रूप से यह वर्णित किया गया है कि जब तक शिशु मां के गर्भ में रहता है तब तक उसे अपना पिछला जन्म याद रहता है, परंतु जन्म के समय में होने वाली पीड़ा से शिशु भयभीत हो जाता है और इसी कारण सभी स्मृतियाँ नष्ट हो जाती है।

अंतिम संस्कार के समय कपाल क्रिया क्यों करवाई जाती है?

सनातन धर्म में अंतिम संस्कार के समय कपाल क्रिया करवाई जाती है जिससे कि किसी भी जीव को उसके अगले जन्म में पूर्व जन्म से जुड़ी बातें याद न रहें। शव को मुखाग्नि देने के कुछ समय बाद एक बांस पर लोटा बांधकर शव के सिर पर घी डाला जाता है, जिससे कि पूरा सिर अच्छी तरह जल जाता है।

ऐसा माना जाता है कि यदि यह कपाल क्रिया ठीक से नहीं करवाई गई तो व्यक्ति के वर्तमान जीवन की यादें उसके अगले जन्म में भी पीछा नही छोड़ती और उसे रह-रह कर याद आती रहती हैं।

मनुष्य को अगला जन्म कैसे प्राप्त होता है?

प्रकृति का नियम कहता है कि जैसे हमारे कर्म होंगे उसी के अनुसार हमे नया जन्म मिलेगा।

हिंदू धर्म के पुराणों और शास्त्रों के अनुसार एक व्यक्ति के कर्मों से ही उसका अगला जन्म निर्धारित होता है। यानी कि जैसे कर्म हमने अपने पिछले जन्मों में किए होंगे, उसी के अनुकूल हमें अपना यह जन्म मिला होगा, इसीलिए जब हमारे साथ कुछ अच्छा होता है तो अक्सर यह कहा जाता है कि शायद पिछले जन्म में हमने कोई पुण्य कर्म किए होंगे।

आज के लिए इतना ही, आशा करते है आपको हमारी आज की यह पोस्ट पसंद आई होगी | नमस्कार।

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