क्या हुआ जब श्री कृष्ण ने चलाया भगवान शिव पर अपना सुदर्शन चक्र?

श्री कृष्ण ने चलाया भगवान शिव पर अपना सुदर्शन चक्र: भगवान नारायण और भगवान शंकर कितने बड़े भक्तवत्सल है ये तो हम सब जानते ही है | पौराणिक कथाओ के अनुसार भगवान नारायण के शत्रुओ को भगवान भोलेनाथ अपने शत्रु मानते है उसी प्रकार भगवान शंकर के शत्रुओ को भगवान नारायण अपने शत्रु मानते है |

आपको यह जान कर बहुत आश्चर्य होगा कि एक बार द्वापर युग में जब भगवान नारायण ने श्री कृष्ण रूप में अवतार लिया था तब उन्हें युद्ध भूमि में भगवान शंकर से युद्ध करना पड़ा था | दो महाशक्तियों के आमने सामने होने के कारण यह युद्ध बहुत प्रलयकारी हो गया था |

क्या हुआ जब श्री कृष्ण ने चलाया भगवान शिव पर अपना सुदर्शन चक्र?

बाणासुर का भगवान शिव से सहस्त्रबाहु का वरदान प्राप्त करना


पौराणिक कथाओ के अनुसार दैत्यराज बलि के पुत्रो में से सबसे बड़ा पुत्र था बाणासुर| बाणासुर बहुत शक्तिशाली था और भगवान शिव का भक्त भी था |

उसने भगवान शिव की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न करके सहस्त्रबाहु का वरदान प्राप्त किया और साथ ही यह भी वरदान मांग लिया कि जब भी उसे युद्ध में भगवान शिव की जरुरत पड़ेगी तब भगवान शिव स्वयं उसकी रक्षा हेतु वहाँ प्रकट होंगे |

इन वरदानो को प्राप्त करके बाणासुर बहुत अहंकारी हो गया था, भगवान शिव ने उसके अहंकार को देखकर उसे चेतावनी देते हुए कहा था कि हे बाणासुर जिस दिन तुम्हारे महल का ध्वज गिर जायेगा उस दिन समझ लेना कि तुम्हारा अंत निकट है |

बाणासुर की एक उषा नाम की पुत्री थी, जो बहुत सुन्दर थी | एक दिन उषा ने एक पुरुष को अपने स्वप्न में देखा, जिसे देख वह मोहित हो गयी और अपनी मायावी सहेली चित्रलेखा को सारा वृतांत सुनाया|

श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध और बाणासुर की पुत्री उषा का विवाह


चित्रलेखा ने अपनी मायावी शक्तियों से पता लगाया कि वह पुरुष कोई और नहीं बल्कि प्रधुम्न के पुत्र और श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध है |

उषा मन ही मन अनिरुद्ध से प्रेम करने लगी थी और उसी प्रेम से विवश होकर चित्रलेखा से अनिरुद्ध का अपरहण करने को कहने लगी |

चित्रलेखा ने अपनी शक्तियों के द्वारा अनिरुद्ध का उसके पलंग सहित हरण कर लिया और अपनी सखी उषा के कक्ष में लेकर आ गई|

जब अनिरुद्ध की निद्रा टूटी तब उन्होंने उषा को देखा और वो भी उनपर मोहित हो गए |

दोनों ने तभी गंधर्व विवाह कर लिया और जहाँ उनका विवाह हुआ था, वर्तमान में उस स्थान का नाम है ओखीमठ, जो कि केदारनाथ धाम के पास पड़ता है| उस स्थान पर आज भी उषा अनिरुद्ध नाम से एक प्राचीन मंदिर है |

श्री कृष्ण और बाणासुर का युद्ध


जैसे ही बाणासुर को इस बारे में पता चला, वह क्रोध से भर गया और अनिरुद्ध को युद्ध के लिए ललकारा| अनिरुद्ध और बाणासुर में भयंकर युद्ध हुआ, किन्तु बाणासुर ने नागपाश का प्रयोग कर अनिरुद्ध को बंदी बना लिया और कारागार में डाल दिया |

जैसे ही श्री कृष्ण को इस बारे में पता चला तो, वे बलराम, प्रद्युम्न,साम्भ आदि के साथ सोणितपुर पहुंच गए, वर्तमान में इसका नाम है तेजपुर जो कि असम में पड़ता है|

श्री कृष्ण और भगवान शिव युद्ध में आमने-सामने


उधर बाणासुर ने साक्षात् भगवान श्री कृष्ण को युद्ध में आया देख भगवान शंकर का आवाहन किया और युद्ध में उनका साथ देने का निवेदन किया|

भगवान शिव भी गणेश, कार्तिक्ये, नंदी, वीरभद्र आदि के साथ बाणासुर की रक्षा करने हेतु युद्ध भूमि में उतरे |

भगवान श्री कृष्ण ने पहला बाण बाणासुर के महल के ध्वज पर मारा, जिससे वह टूट गया |

श्री कृष्ण ने बाणासुर की सेना का बहुत नुक्सान कर दिया था और उधर भगवान शिव ने भी श्री कृष्ण की सेना को बहुत क्षति पंहुचा दी थी |

भगवान श्री कृष्ण जानते थे कि जबतक भगवान शिव बाणासुर के साथ है, इस युद्ध का कभी अंत नहीं हो सकता |

तब भगवान श्री कृष्ण ने महादेव से कहा कि हे भोलेनाथ यदि आप इस अधर्मी बाणासुर की रक्षा करते रहेंगे तो, कैसे धर्म अधर्म से जीत पायेगा| महादेव बोले कि हे माधव मैं भी अपने भक्त के वचन बध होने के कारण युद्ध भूमि नहीं छोड़ सकता |

श्री कृष्ण बोले हे महादेव अब आप ही इस समस्या का कोई समाधान निकाले|

श्री कृष्ण के द्वारा बाणासुर का घमंड चकनाचूर हो जाना


तब भोलेनाथ ने श्री कृष्ण को उनके ऊपर जुरुमनास्त्र चलने को कहा, जिससे वह कुछ समय के लिए निद्रा में चले गए |

भगवान शिव के निद्रा में चले जाने के बाद बाणासुर की सेना में हाहाकार मच गया और बाणासुर अपने प्राण बचाने के लिए इधर उधर भागने लगा|

भगवान श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र चलाकर, बाणासुर की बाजुएँ काटनी शुरू कर दी |

जब बाणासुर की चार बाजु शेष रह गई तभी महादेव निद्रा से जाग गए और श्री कृष्ण को बाणासुर का वध करने से रोक दिया |

बाणासुर को अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था, और भगवान श्री कृष्ण के द्वारा उसे माफ़ करने पर ना सिर्फ उसका घमंड चकनाचूर हो गया था बल्कि वो आत्मगलानी से भर गया था |

वो हाथ जोड़ कर भगवान श्री कृष्ण और भोलेनाथ के चरणों में गिर गया और माफ़ी मांगने लगा|

उसके पश्चात् बाणासुर ने उषा और अनिरुद्ध का विवाह कर दिया |

इस तरह दो महाशक्तियां एक दूसरे के आमने सामने आगई थी, जिसे देख तीनो लोक कांप गए थे |

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top