कैसे कर्म करने से मिलता है मनुष्य का जन्म?: हमारे जीवन में कभी न कभी हम सभी को यह जानने की जिज्ञासा होती है कि हम पिछले जन्म में क्या थे?, कहां से आए थे? और हमारा अगला जन्म कैसा होगा? आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे |
कैसे कर्म करने से मिलता है मनुष्य का जन्म?
गरुड़ पुराण के अनुसार कर्म का महत्व
हमारे जन्म या मृत्यु से जुड़े जो भी प्रश्न होते हैं उसके जवाब हमें गरुड़ पुराण से मिल सकते हैं। अगर गरुड़ पुराण की बात करें तो इसमें एक जीव के हर जन्म का लेखा-जोखा होता है । जो ना केवल उसके पाप और पुण्य का हिसाब होता है बल्कि मनुष्य की मृत्यु के बाद मिलने वाली सजा और अगले जन्म में वह किस योनि में जन्म लेगा यह भी बताता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार कुछ ऐसे कर्म होते हैं जिन्हें करने के बाद हमें मनुष्य योनि प्राप्त होती है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि किन पापों को करने से अगले जन्म में हमें मनुष्य की जगह गधे या भेड़िए की योनि मिलती है।
पुराण के अनुसार हमें सभी कर्मों का फल मिलता है चाहे वह कर्म अच्छे हो या बुरे । जो भी जन्म लेता है उसे अपने कर्मों का फल किसी न किसी रूप में भोगना ही पड़ता है। हालाकि मनुष्य के हाथ में केवल कर्म करना ही होता है, फल देना वाला तो परमात्मा ही होता है।
कैसे कर्म करने से मिलता है मनुष्य का जन्म?
अगर आपको लगता है कि इस जन्म में मनुष्य योनि मिलने से अगले जन्म में भी ऐसा ही होगा तो आप गलत है। मनुष्य ने अपने जीवन में जो कर्म किए होते हैं उन्ही को आधार बनाकर यह तय किया जाता है कि वह अगली बार किस योनि में जन्म लेगा।
गरुड़ पुराण के मुताबिक जो अच्छे कर्म करते हैं बस उन्हें ही मानव जीवन की प्राप्ति होती है। उसके साथ-साथ कई जीव ऐसे होते हैं जो अपने कर्मों के फल स्वरूप 84 लाख योनियों में भटकते रहते हैं और अंत में उनका जन्म एक मनुष्य के रूप में होता है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसे कौन से कर्म हैं जिन्हे करने से अगली बार भी मनुष्य योनि में जन्म मिलता है, तो चलिए एक कथा के माध्यम से इसे समझने का प्रयास करते हैं।
किस कर्म से कौन सी योनि में जन्म मिलता है?
भेड़िए, कुत्ते, गिद्ध, सांप, कौवे और बगुले की योनि में जन्म
गरुड़ पुराण के अनुसार एक बार महाऋषि वेदव्यास जी से कुछ ऋषियों ने पूछा, “ऋषिवर, किस कर्म से कौन सी योनि में जन्म मिलता है”?
वेदव्यास जी ने बताया कि जो भी पुरुष पराई स्त्री के साथ संबंध बनाता है और हमेशा स्त्रियों का अपमान करता है उसे भयानक नर्क भोगना पड़ता है | ऐसा करने वाला अलग-अलग योनियों में भटकता रहता है, इसलिए सबको स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए भले ही वह पराई क्यों ना हो । अन्यथा सबसे पहले भेड़िए के तौर पर जन्म लेना पड़ता है जिसके बाद कुत्ते, गिद्ध, सांप, कौवे और बगुले की योनि में जन्म होता है। इन सभी योनियों में जन्म लेने के बाद उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेता है।
क्रोंच नामक पक्षी, तोता, गधा और निचली योनियों में जन्म
महाऋषि यह भी बताते हैं कि बड़ा भाई पिता तुल्य होता है इसलिए किसी भी परिस्थिति में अपने से बड़े का अपमान नहीं करना चाहिए अन्यथा क्रोंच नामक पक्षी के रूप में जन्म मिलता है।
इसी तरह चोरी करना भी गलत है । फिर चाहे वह सोने की हो या फिर वस्त्र की, चोरी हमेशा ही पाप होती है और चोरी करने वाले मनुष्य को इसका परिणाम अवश्य ही भुगतना पड़ता है। अगर कोई व्यक्ति चोरी करता है तो वह अगले जन्म में तोता बनता है. इसलिए कैसी भी परिस्थिति में की गई चोरी को सही नहीं ठहराया जा सकता और ऐसा करने वाले को उसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या कर देता है या कोई जघन्य अपराध करता है तो ऐसा करने पर उसका अगला जन्म गधे की योनि में होता है। इसके साथ-साथ जो नशीले पदार्थो का सेवन करते हैं, धोखा देते हैं, दूसरों से घृणा करते हैं, सामाजिक रीतियों का उलंघन, और घर आए मेहमानों का अपमान करते हैं, ऐसी आत्माए निचली योनियों में जन्म लेती हैं और कई बीमारियों का शिकार होती है।
मनुष्य की योनि में जन्म
वेद व्यास जी आगे कहता हैं अगर मनुष्य योनि में जन्म लेना है तो कुछ अच्छे कर्म करने पर ऐसा संभव हो सकता है।
जो व्यक्ति सदैव दूसरों की मदद करता है, पशु-पक्षी और अन्य जीवो पर दया करता है, जरूरतमंदों की मदद करता है और बिना किसी स्वार्थ के धन का उपयोग धार्मिक कार्यों के लिए करता है, तो ऐसे जीव का अगला जन्म मनुष्य योनि में होना तय है।
गरुड़ पुराण में यह भी लिखा गया है कि मृत्यु के समय यानी जब एक व्यक्ति का अंतिम समय होता है, उस समय व्यक्ति जो सोच रहा होता है या उसकी आसक्ति जिस चीज में होती है, उसका अगला जन्म भी उसी पर निर्भर करता है।
अगर कोई व्यक्ति मृत्यु के समय किसी कुत्ते को याद कर ले तो अगले जन्म में वह कुत्ते के रूप में जन्म लेता है। इसी तरह अंतिम क्षणों में यदि ईश्वर का नाम लिया जाए तो वह जीव मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है, इसीलिए हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि मरते समय हमेशा भगवान का स्मरण करना चाहिए।
आज के लिए इतना ही आशा करते हैं हमारी यह प्रस्तुति आपको पसंद आई होगी| धन्यवाद।