छोटी दीपावली कब और क्यों मनाई जाती है?

आज हम आपको यह बताएंगे कि छोटी दीपावली का पर्व क्यों मनाया जाता है?

छोटी दीपावली कब और क्यों मनाई जाती है?

छोटी दीपावली कब और क्यों मनाई जाती है?


छोटी दीपावली को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि काली चौदस, रूप चौदस, नरक चतुर्दशी और हर नाम के पीछे एक अलग महत्व है।

छोटी दीपावली कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार बहुत पहले नरकासुर नाम का एक राक्षस था और उसने अपनी शक्तियों से देवताओ और साधु-संतों को परेशान कर दिया था। नरकासुर का अत्याचार इतना बढ़ने लगा था कि उसने देवताओ और साधु-संतों की 16 हज़ार स्त्रियों को बंधक बना लिया था।

नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर समस्त देवता और साधु संत भगवान श्री कृष्ण की शरण में गए। श्री कृष्ण ने सभी को नरकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन दिया। 

ऐसा कहा जाता है कि किसी स्त्री के हाथों ही नरकासुर का वध हो सकता था इसीलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और उनकी सहायता से ही श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। भगवान कृष्ण ने कार्तिक चतुर्दशी के दिन  ही राक्षस नरकासुर का वध किया था।

नरकासुर का वध होते ही उन सभी 16000 कन्याओं को नरकासुर के बंधन से मुक्ति मिल गई। इसी कारण से नरक चतुर्दशी के दिन दीप-दान करने की परंपरा भी शुरू हुई थी।

छोटी दीपावली के दिन क्या करे

सूर्योदय से पूर्व शरीर पर सरसों का तेल लगाना

छोटी दीपावली के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व शरीर पर सरसों का तेल लगाकर स्नान करने का भी विशेष महत्व है। स्नान करने के बाद विष्णु मंदिर या फिर कृष्ण मंदिर जाकर दर्शन जरूर करने चाहिए। ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सौंदर्य बढ़ता है। कुछ कथाओं के अनुसार इसी दिन पर हनुमान जी का भी जन्म हुआ था।

शाम के समय घर में दीपक ले कर घूमना

छोटी दीपावली के दिन बहुत से लोग यमराज की पूजा भी करते हैं। इस दिन शाम के समय घर में दीपक ले कर घूमने के बाद उसे घर के बाहर रख दिया जाता है, इस दीपक को यम का दीपक भी कहा जाता है। इस दिन कुल 12 दीपक जलाने का विधान है और ऐसा माना जाता है कि यमराज के लिए तेल का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु टल जाती है।

छोटी दीपावली को जो व्यक्ति श्री कृष्ण, हनुमान जी और यमराज जी को प्रसन्न कर लेता है, उसे मृत्यु के उपरांत नर्क की यातनाये नहीं भोगनी पड़ती और अनजाने में हुए पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।

घर में बड़ा दीपक जगाना

ऐसा माना जाता है की शरद के महीने में आए हुए पित्र इसी दिन चंद्रलोक वापस जाते हैं। इस दिन अमावस्या होने के कारण चांद नहीं निकलता जिससे पित्र भटक सकते हैं इसीलिए उनकी सुविधा के लिए नरक चतुर्दशी के दिन एक बड़ा दीपक जगाया जाता है। यमराज और पित्र देवता अमावस्या तिथि के स्वामी माने जाते हैं।

यमराज और शुक्राचार्य की उपासना

छोटी दीपावली सौंदर्य प्राप्ति और आयु प्राप्ति का दिन भी माना जाता है। इस दिन आयु के देवता यमराज और सौंदर्य के प्रतीक शुक्राचार्य की उपासना भी की जाती है और जैसा कि हमने बताया, इस दिन श्री कृष्ण की उपासना करने का भी विशेष प्रावधान है।

मां काली की आराधना

कुछ लोग इस दिन को काली चौदस के तौर पर भी मनाते हैं। काली से तात्पर्य है श्री महाकाली और चौदस मतलब 14 दिन। इस दिन मां काली की आराधना का विशेष महत्व होता है। दोस्तों मां काली के आशीर्वाद से शत्रु पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिलती है, इस दिन भी दीपावली की तरह ही पूजा पाठ करने के बाद दीप जलाए जाते हैं। इस दिन पर विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण, हनुमान जी और यमराज जी की पूजा होती है।

अपने घरों की सफाई

नरक का अर्थ है गंदगी जिसे साफ करना बहुत जरूरी होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार जहां स्वच्छता और पवित्रता होती है वही माता लक्ष्मी वास करती है, इसीलिए इस दिन पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए लोग अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं और अपने रीति-रिवाजों के अनुसार 7, 9 या 11 दिए जलाते हैं। घर के हर कोने में दिया रखा जाता है जिससे कि सब जगह रोशनी हो और उजाला रहे।

आज के लिए इतना ही, आशा करता हूँ आपको हमारी आज की यह प्रस्तुति पसंद आई होगी| नमस्कार|

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