महाभारत युद्ध के 18 दिनों में क्या-क्या हुआ?

आज हम जानेंगे कि महाभारत युद्ध के 18 दिनों में क्या-क्या हुआ?

महाभारत युद्ध के 18 दिनों में क्या-क्या हुआ?

महाभारत युद्ध के 18 दिनों में क्या-क्या हुआ?


महाभारत युद्ध का पहला दिन

पहले दिन श्री कृष्ण और अर्जुन रथ लेकर कौरवों और पांडवों की सेना के बीच खड़े थे। इसी दौरान अर्जुन को युद्ध करने से पहले कुछ शंका हो रही थी और श्री कृष्ण के समझाने पर वह युद्ध के लिए तैयार हो जाते हैं।

यह दिन कौरवों के लिए अच्छा था क्योंकि पांडव पक्ष को भारी हार हुई थी, उनके 10000 सैनिक मारे गए थे, साथ ही विराट नरेश के पुत्र उत्तर और श्वेत को शल्य और भीष्म ने मार दिया था।

महाभारत युद्ध का दूसरा दिन

दूसरे दिन द्रोणाचार्य ने धृष्टद्युम्न को हरा दिया, भीष्म ने अर्जुन को कई बार घायल किया, भीम ने हजारों का कलिंग और निषादों को मार दिया। कुल मिलाकर पांडवों को इस दिन पर अधिक नुकसान नहीं हुआ।

महाभारत युद्ध का तीसरा दिन

तीसरे दिन भीम और घटोत्कच ने दुर्योधन की सेना को युद्ध के मैदान से भगा दिया। जिसे देख भीष्म ने संघार मचा दिया, उन्हें रोकने के लिए श्री कृष्ण ने अर्जुन को भीष्म का वध करने का आदेश दिया परंतु अर्जुन साहस नहीं जुटा पा रहे थे इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण स्वयं भीष्म का वध करने के लिए आगे बढ़े।

परंतु यह देख अर्जुन ने भगवान को आश्वासन दिया कि वह पूरे साहस के साथ युद्ध करेगा।

महाभारत युद्ध का चौथा दिन

चौथे दिन कौरवों की तरफ से अर्जुन को रोकने के प्रयास सफल नहीं होता, साथ ही भीम कौरव सेना में हाहाकार मचा देता है और अर्जुन और भीष्म का भयंकर युद्ध होता है।

महाभारत युद्ध का पांचवा दिन

युद्ध के पांचवें दिन भीष्म ने पांडव सेना में हाहाकार मचा दिया और सात्यकि को युद्ध से भागने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद अर्जुन और भीम ने भीष्म को रोकने के लिए उनसे युद्ध किया।

महाभारत युद्ध का छठा दिन

इस दिन दुर्योधन बहुत अधिक क्रोध में था, लेकिन भीष्म ने उसे आश्वासन दिया और उन्होंने पांचाल सेना का संघार कर दिया।

महाभारत युद्ध का सांतवा दिन

इस दिन अर्जुन कौरव सेना पर हावी हो जाता है| धृष्टद्युम्न दुर्योधन को युद्ध में हरा देता है, पर दिन खत्म होते-होते भीष्म पांडव सेना पर हावी हो जाता है।

महाभारत युद्ध का आठवां दिन

आठवें दिन भीम धृतराष्ट्र के 9 पुत्रों का वध कर देता है, राक्षस अम्बलुष अर्जुन के पुत्र इरावन का वध कर देता है और घटोत्कच दुर्योधन को अपनी माया जाल में फंसा लेता है।

महाभारत युद्ध का नववा दिन

नवे दिन भीष्म दुर्योधन को आश्वासन देते हैं कि या तो एक पांडव का वध कर देंगे या फिर श्रीकृष्ण को शस्त्र उठाने पर विवश कर देंगे। भीष्म को रोकने के लिए श्रीकृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़ने पड़ती है और वे शास्त्र उठा लेते हैं। साथ ही यह दिन खत्म होते-होते भीष्म पांडवों की अधिक सेना को समाप्त कर देते हैं।

महाभारत युद्ध का दसवां दिन

दसवे दिन श्री कृष्ण के कहने पर पांडव भीष्म से उन्हीं की मृत्यु का उपाय पूछते हैं। जिसके जवाब में भीष्म कहते हैं कि अगर अर्जुन शिखंडी को आगे रखकर उन पर बाण चलाएं तब उनकी मृत्यु आएगी। अर्जुन उस दिन भीष्म को बाणों की शैया पर लिटा देता है परंतु भीष्म प्राण नहीं त्यागते।

महाभारत युद्ध का ग्यारवा दिन

 इस दिन कर्ण पांडव सेना का भारी संघार करता है। साथ ही शकुनी और दुर्योधन युधिष्ठिर को बंदी बनाने की योजना बनाते हैं परंतु उनकी योजना सफल नहीं हो पाती।

महाभारत युद्ध का बारहवां दिन

इस दिन दुर्योधन और शकुनि की योजना के अनुसार वे अर्जुन को युद्ध मैदान से दूर ले जाने में सफल होते हैं परंतु अर्जुन समय पर पहुंचकर युधिष्ठिर को बंदी बनने से रोक लेता है।

महाभारत युद्ध का तेरहवां दिन

इस दिन ड्रोन युधिष्ठिर के लिए एक चक्रव्यू रचते हैं जिसे केवल अभिमन्यु तोड़ सकता था, परंतु अभिमन्यु चक्रव्यूह से निकलना नहीं जानता था। युधिष्ठिर और भीम अभिमन्यु के साथ चक्रव्यूह में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं परंतु जयद्रथ उन्हें रोक लेता है और केवल अभिमन्यु ही अंदर जा पाता है। अभिमन्यु अकेले ही कौरवों से युद्ध करता है परंतु मारा जाता है।

महाभारत युद्ध का चौदवा दिन

चौदवे दिन पुत्र अभिमन्यु की मृत्यु से आहत होकर अर्जुन यह प्रतिज्ञा लेकर युद्ध मैदान में जाता है कि वह जयद्रथ का वध कर देगा अन्यथा अग्नि समाधि ले लेगा। जयद्रथ को बचाने के लिए द्रोणाचार्य उसे सेना के पिछले भाग में छुपा देते हैं परंतु श्री कृष्ण द्वारा किए गए सूर्यास्त के कारण जयद्रथ भार आ जाता है जिसके बाद अर्जुन उसका वध कर देता है। 

महाभारत युद्ध का पन्द्रवा दिन

इस दिन पांडव छल से द्रोण को अश्वत्थामा की मृत्यु का विश्वास दिला देते हैं जिससे निराश होकर वह समाधि लेने का फैसला कर लेते हैं। आखिर में धृष्टद्युम्न द्रोणाचार्य का वध कर देता है।

महाभारत युद्ध का सौलहवा दिन

कर्ण, कौरव सेनापति बन जाता है और वह नकुल व सहदेव से भी जीत जाता है परंतु वह वचनबद्ध होता है इसलिए उनका वध नही करता। दूसरी ओर भीम दुशासन का वध कर देता है।

महाभारत युद्ध का सतरवा दिन

इस दिन भीम और युधिष्ठिर कर्ण से हार जाते हैं परंतु कुंती को दिए गए वचन का मान रखते हुए कर्ण उन्हे मारता नही है। लेकिन इस दिन अर्जुन के हाथों कर्ण का वध होता है।

महाभारत युद्ध का अठारवा दिन

यह युद्ध का आखिरी दिन होता है और इस दिन भीम दुर्योधन के सारे भाइयों को मार देता है, शकुनि का वध सहदेव द्वारा किया जाता है। इसके उपरांत दुर्योधन और भीम के बीच गदा युद्ध होता है जिसमें भीम दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करके युद्ध जीत जाता है और दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है। अंत में पांडव विजई होते हैं।

इस तरह 18 दिनों बाद इस युद्ध का समापन होता है। आज के लिए इतना ही, आशा करता हूँ आपको हमारी आज की यह प्रस्तुति पसंद आई होगी | नमस्कार।

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