1000 साल तक नहीं टूट सकता अयोध्या राम मंदिर: अयोध्या मे बना भगवान श्री राम का मंदिर अपने आप मे एक अद्भुत द्रश्य है| सालो के इन्तजार के बाद यह शुभ घडी आई है, जब अयोध्या मे भगवान् श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और लोगों का कहना है कि यह मंदिर हजारो सालो तक ऐसा ही भव्य और सुन्दर बना रहेगा|
भगवान् श्री राम के मंदिर को बनाने मे किसी भी तरह की सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नही किया गया है| तो आखिर ऐसी कौन-सी वस्तु का प्रयोग इस मंदिर को बनाने के लिए किया गया है, जो इसे हजार साल तक ऐसे ही भव्य और सुन्दर रखेगा|
क्या है इसके पीछे की कहानी आपको बतायेंगे इस पोस्ट मे|
किस कारण 1000 साल तक नहीं टूट सकता अयोध्या राम मंदिर?
22 जनवरी के दिन भगवान् श्री राम के भक्तो के लिए उत्सव का दिन था क्युकी इसी दिन भगवान् श्री राम के भव्य मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गई और भगवान् श्री राम अपने महल मे विराजमान हुए|
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और मंदिर बनाने वाले लोगों का कहना है कि भगवान् श्री राम का यह मंदिर हजारो सालो तक बिना किसी समस्या के अपनी चमक और शोभा बढाता रहेगा, भूकंप जैसी कोई भी प्राकृतिक आपदा इस मंदिर को हानि नही पहुंचा सकती|
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अयोध्या राम मंदिर को बनाने में किस प्रकार के सामान का इस्तेमाल किया गया है?
अब आपके मन मे यह प्रश्न आ रहा होगा कि आखिर इस मंदिर को बनाते समय किस प्रकार के सामान का उपयोग किया गया है, जो इस मंदिर को इतना मजबूत बनाता है| तो आपको बता दे कि भगवान् श्री राम के मंदिर को बनाने मे किसी भी तरह के कंक्रीट और लोहे का इस्तेमाल नही किया गया है क्युकी किसी भी लोहे की उम्र 70 से 80 साल तक ही होती है, उसके बाद उस लोहे मे जंग लग जाता है और वह ख़राब हो जाता है|
भगवान् श्री राम का मंदिर हजारो सालो तक ऐसे ही स्थिरता से खड़ा रहे और अपनी ख्याति पूरी दुनिया मे फैलाता रहे इसीलिए इस मंदिर के निर्माण मे लोहे का उपयोग नही किया गया, बल्कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन नागर शैली के द्वारा किया गया है| जिसमे मंदिर के पत्थरो को एक दूसरे से जोड़कर बनाया गया है| पत्थरो को जोड़ने के लिए इनमे छेद करके तांबे की सहायता से इनको जोड़ा गया है, जिसके कारण इनमे जंग नही लगेगा और यह मंदिर हजारो सालो तक ऐसा ही,खड़ा रहेगा|
आपको बता दे कि जिस नागर शैली का प्रयोग मंदिर को बनाने के लिए किया गया है, वह उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन शैलियों मे से एक है| नागर शैली मुख्य रूप से उत्तर भारत मे विकसित हुई है, खजुराहो के मंदिर ,कोकार्ण का सूर्य मंदिर और सोमनाथ मंदिर नागर शैली के द्वारा ही निर्मित किये गये है|
भगवान् श्री राम के मंदिर की लम्बाई 380 फीट, चौडाई 250 फीट और ऊँचाई 161 फीट है| यह मन्दिर तीन मंजिला रहेगा, हर एक मंजिल की ऊँचाई 20 फीट रहेगी| इस मंदिर को मजबूत बनाने के लिए इसकी नीव को विशेष प्रकार के कंक्रीट से बनाया गया है, जिसका आकर एक चट्टान की तरह है|
इस मंदिर को बनाने मे गुलाबी पत्थरो का भी उपयोग किया गया है| मंदिर मे 392 खम्भे और 44 द्वार होंगे लेकिन प्रवेश के लिए एक ही मुख्य द्वार होगा, इन सभी स्तंभों पर देवी देवताओ के चित्र अंकित किये गये है| मंदिर के गर्भगृह मे भगवान् श्री राम अपने बाल रूप मे विराजमान होंगे, इसके प्रथमतल पर श्री राम दरबार होगा| राम मंदिर के निर्माण मे ग्रेनाईट जैसे बहुमूल्य पत्थरों का उपयोग किया गया है|
राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इस मंदिर को भारतीय लोगो के द्वारा प्राचीन नागर शैली का उपयोग करके बनाया गया है, ताकि मंदिर हजारो सालो तक ऐसे ही बिना किसी नवीनीकरण के अपनी भव्यता दर्शाता रहे| उन्होंने कहा कि वैसे तो राम मंदिर मे कई विशेषताए है लेकिन इनमे से मुख्य है कि इसका निर्माण किसी लोहे का उपयोग किये बिना किया गया है,जो इसे और भी मजबूती प्रदान करता है|
हजारो सालो पहले जो महल बनते थे वह भी बिना लोहे के बनते थे जिसके कारण वह मजबूती से खड़े रहते थे और भगवान् श्री राम का यह मंदिर एक उन्ही प्राचीन शैली का उदाहरण है| इसके अलावा चंपत राय ने बताया कि मंदिर के बाहर की 70% भूमि को हमेशा हरा-भरा रखा जायेगा, इसे किसी निर्माण के लिए उपयोग मे नही लाया जायेगा|
भगवान् श्री राम के मंदिर की विशेषताओ के बारे मे बताना हमारे लिए ख़ुशी की बात है, आपके इसके बारे मे क्या विचार है हमे कमेंट मे जरुर बताये|
आशा करते है,कि आपको हमारी प्रस्तुति काफी पसंद आई होंगी | धन्यवाद |