पूर्व जन्म के कर्म के कारण हुआ द्रौपदी का 5 पांडवो से विवाह

द्रौपदी का विवाह: महाभारत हिन्दू धर्म के प्राचीन ग्रंथो में से एक ग्रन्थ है| महाभारत को इतिहास में होने वाले सभी युद्धों में से सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है, जो कि धर्म और अधर्म के बीच होने वाले संघर्ष को बयां करता है|

महाभारत के अनेक रहस्यमयी पात्र है, जिनसे जुडी कथाओ से हम आजतक अनजान है|

उन्ही पात्रो में से एक प्रसिद्ध पात्र है द्रौपदी, जिनसे जुडी है अनेको अनसुनी कथाएं|

वही द्रौपदी जिनका विवाह पांचो पांडवो के साथ हुआ था|

द्रौपदी का 5 पांडवो से विवाह

कैसे हुआ द्रौपदी का जन्म?


द्रौपदी का जन्म महाराज द्रुपद के यहाँ यज्ञकुंड से हुआ था| महाराज द्रुपद ने द्रोणाचार्य द्वारा किए गए अपमान का बदला लेने के लिए एक विशाल पुत्र प्राप्ति यज्ञ किया| उस यज्ञ के फल स्वरुप उन्हें एक धृष्टद्युम्न नामक पुत्र प्राप्त हुआ और साथ ही उसी यज्ञकुंड से एक पुत्री भी प्रकट हुई, जिसका बाद में नाम द्रौपदी रखा गया|

द्रौपदी का स्वयंवर


द्रौपदी यज्ञकुंड से जन्म लेने वाली एक दिव्य कन्या थी, जिसके कारण राजा द्रपद ने उनके विवाह के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया|

उस समय पांचो पांडव अपना एक वर्ष के अज्ञातवास के दौरान एक कुम्हार के घर रह रहे थे और भिक्षा द्वारा अपना जीवन व्यापन कर रहे थे|

तभी उन्हें द्रौपदी के स्वयंवर के बारे में पता चला और वो सभी ब्राह्मण वेश में वह चले गए|

आप सभी जानते ही है की अर्जुन ने मछली की आँख में तीर मार कर स्वयंवर जीत लिया था और द्रौपदी के साथ विवाह कर लिया था|

द्रौपदी को पांचो पांडवो की पत्नी क्यों कहा जाता है?


अब प्रश्न यह है कि जब अकेले अर्जुन ने स्वयंवर जीत कर द्रौपदी से विवाह किया तो द्रौपदी को पांचो पांडवो की पत्नी क्यों कहा जाता है?

स्वयंवर के बाद पांचो पांडव द्रौपदी संग माता कुंती के पास पहुंचे और द्वार से ही माता को बोले कि देखिये माता आज हम भिक्षा में आपके लिए क्या लाए है?

माता खाना बनाने में व्यस्त थी इसलिए बिना देखे बोली कि जो भी लाए हो आपस में बराबर बाँट लो|

पांचो पांडव सत्यवादी और धर्म का पालन करने वाले थे इसलिए माता के वचन का पालन करना उनका धर्म था| कुछ श्रण बाद जब माता कुंती ने द्रौपदी को देखा तो वो बहुत आश्चर्यचकित रह गयी|

उसके बाद माता कुंती और पांचो पांडव गहरी सोच में पड़ गए कि कैसे इस धर्म संकट से बाहर निकला जाए|

उधर राजा द्रुपद को भी इस बात का पता चला और वह बहुत परेशान होकर श्री कृष्ण और व्यास जी से इसका समाधान निकालने के लिए आग्रह करने लगे|

महर्षि व्यास जी ने राजा द्रुपद को समझाया कि हे राजन द्रौपती पिछले जन्म में आती सुन्दर और सर्वगुण सम्पन कन्या थी, इसी कारण उसके लिए कोई योग्य वर नहीं मिल पा रहा था|

इसलिए द्रौपदी ने भगवान भोलेनाथ की तपस्या की और भगवान ने प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा और हड़बड़ाहट में द्रौपती ने पांच बार सुयोग्य वर मांग लिए| और इसी कारण द्रौपदी को इस जन्म में भोलेनाथ के आशीर्वाद से पांच पति प्राप्त हुए|

ऐसा सुन राजा द्रुपद ने द्रौपदी का विवाह एक एक करके पांचो पांडवो के साथ किया|

द्रौपदी ने पांचो पांडवो के साथ पति धर्म कैसे निभाया?


अब प्रश्न यह था कि द्रौपदी की सुहागरात कैसी रही होगी और कैसे उन्होंने पांचो पांडवो के साथ अपना पति धर्म निभाया होगा?

द्रौपदी का प्रथम विवाह युधिष्ठिर के साथ हुआ और उसी रात उन्होंने युधिष्ठिर के साथ अपना पति धर्म निभाया,उसके पश्चात् उनका विवाह भीम के साथ हुआ और उन्होंने भीम के साथ अपना पति धर्म निभाया, उसके बाद अर्जुन फिर नकुल और सहदेव के साथ विवाह किया और एक एक करके सबसे साथ अपना पति धर्म निभाया|

भगवान भोलेनाथ जानते थे कि द्रौपदी को पांच पतियों के साथ अपना पति धर्म निभाने में समस्या होगी इसलिए उन्होंने द्रौपदी को वरदान दिया था कि प्रतिदिन जब तुम सुबह स्नान करोगी तब तुम कन्या भाव को प्राप्त कर लोगी| इसी वरदान के कारण पांचो पांडवो को द्रोपदी विवाह के बाद कन्या भाव में ही मिली थी |

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