कैलाश पर्वत का रहस्य: आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना गया हैं। कैलाश पर्वत की बहुत महानता है और यहां पर कुछ ऐसी रहस्यमई चीजे हैं जिनके बारे में भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व जानना चाहता है क्युकी यहाँ पर बहुत से ऐसे रहस्य हैं जिस पर दुनिया भर के वैज्ञानिको ने खोज करने का प्रयास किया लेकिन आज तक कोई निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाए हैं।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अंतरिक्ष से कैलाश पर्वत पर कुछ ऐसा दिखाई दिया जिससे नासा ही नहीं बल्कि पूरा विश्व हैरान हो गया है|
आज हम एक आध्यात्मिक स्थल के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो “कैलाश पर्वत ” के नाम से प्रसिद्ध है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह पर्वत अपनी ऊँचाइयों से नहीं बल्कि अपने रहस्यों से विश्व विख्यात है। तो चलिए, इस अद्भतु यात्रा में आगे बढ़ते है और जानते हैं कि कैलाश पर्वत के रहस्य और महत्व के पीछे की कहानी क्या है?
कैलाश हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए है पवित्र स्थल
कैलाश पर्वत का रहस्य विश्व के विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं में गूंजता है। यह स्थल हिन्दू, जैन, और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र माना जाता है और इसके चारों ओर अनेक रहस्यमयी कथाएँ जुडी हैं।
हिन्दू धर्म के अनुसार, कैलाश को भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान माना जाता है इसलिए यह मोक्ष का धाम है। कैलाश पर्वत पर चढ़ने की मनाही इसके आध्यात्मिक महत्व के कारण ही की गई है।
यह आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह का केंद्र माना जाता है और यहाँ की प्राकृतिक सौंदर्यता और शांति यात्रियों को मनन और ध्यान करनेपर मजबूर कर देती है।
समग्र रूप में, कैलाश पर्वत के रहस्य और महिमा को सिर्फ शब्दों में समझना मुश्किल है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि कैलाश पर्वत पर कोई जीवित व्यक्ति नहीं चढ़ सकता, क्योंकि कैलाश भगवान शिव का निवास स्थान है इसलिए यहां केवल पवित्र आत्मा ही निवास कर सकती हैं।
लेकिन 11वीं सदी के एक बौद्ध भिक्षु योगी मिलारेपा ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की थी। इस पर्वत के शिखर पर पहुंचकर वापस आने वाले वह पहले और आखिरी इंसान थे। उसके बाद आज तक कोई भी कैलाश की चोटी पर नहीं पहुंच सका।
पौराणिक मान्यताओं के अनसुार ऐसा कहा गया है कि कैलाश के ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्युलोक है।
माना जाता है कि जो कैलाश आकर भगवान शिव के दर्शन करता है उसके लिए मोक्ष का रास्ता खुल जाता है।
कैलाश पर्वत पर जैन धर्म के अनयुायियों का मानना है कि सबसे पहले तीर्थांकर ऋषभनाथ जी को कैलाश पर तत्व ज्ञान प्राप्त हुआ था। तो वही बौद्ध धर्म के अनयुायी का यह मानना हैं कि महात्मा बुद्ध इस पर्वत की चोटी पर रहते हैं। तिब्बत के डाओ अनयुायी इस पर्वतर्व को पूरी दूनिया का आध्यात्मिक केंद्र मानते हैं।
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कैलाश पर्वत पर होने वाली रहस्मयी घटनायें
कैलाश पर होने वाली रहस्मयी घटनाओं में से एक घटना है कि यहाँ कई बार 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। नासा के वज्ञैानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है ऐसा यहां के चुम्बकीये बल के कारण होता हो।
कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग 6,600 मीटर है, जो कि दूनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट से काफी कम है| माउंट एवेरेस्ट पर हज़ारो लोग चढ़ाई कर चुके हैं. लेकिन ऊंचाई में इससे कम होने के बावजदू भी कैलाश के शिखर पर अब तक कोई भी नहीं चढ़ पाया और यह आज भी अजेय है।
ऐसा नहीं कि कैलाश पर्वत पर किसी ने चढ़ाई करने की कोशिश नहीं की, दुनिया के बड़े से बड़े पर्वतारोहियों ने कैलाश की छोटी तक जाने की कोशिश की, परन्तु उन में से काफी लोगो का कहना था कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही वह दिशाहीन हो गए थे और बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देने के बराबर होता है।
कैलाश पर्वत पर दनिुया भर के वैज्ञानिक ने रिसर्च की है। इस पर रिसर्च करने वाले ह्यरूतलीज ने कैलाश पर चढ़ने को असभंव बताया है।
रूस के एक पर्वतारोही सरगे सिस्टियाकोव ने बताया कि जब मैं पर्वतर के बिल्कुल पास पहुंच गया तो मेरा दिल बहुत तेज़ धड़कने लगा। मैं उस पर्वत के बिल्कुल सामने था, जिस पर आज तक कोई चढ़ नहीं पाया था। अचानक ही मैं बहुत कमजोरी महसूस करने लगा था और मेरे में मन अपने आप यह ख्याल आया कि मुझे यहां से तुरंत वापस जाना चाहिए। उसके बाद जैसे -जैसे हम नीचे आते गए, मन हल्का होता गया।
कैलाश पर्वत पर आखिरी बार चढ़ने की कोशिश लगभग 17 साल पहले वर्ष 2001 में की गई थी। उस समय चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनमुति दी थी। लेकिन दुनिया भर के लोगों को मानना है कि कैलाश पर्वत एक पवित्र स्थान है इसलिए इस पर किसी को भी चढ़ाई नहीं करने देना चाहिए, उस मांग के बाद से कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना जाता है।
दरअसल, रूस के वज्ञैानिकों की स्टडी के मतुाबिक, कैलाश मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है, जिसका निर्माण किसी दैवीय शक्ति वाले व्यक्ति ने किया हो।
इसके अलावा एक दसूरी स्टडी के मतुाबिक, कैलाश पर्वत ही वह एक्सिस मुंडी है, जिसे कॉस्मिक एक्सिस, वर्ल्ड एक्सिस या वर्ल्ड पिलर कहा जाता है। बता दें, एक्सिस मुंडी लैटिन शब्द है, जिसका मतलब ब्रह्मांड का केंद्र होता है।
आश्चर्य कि बात तो यह है कि जब कैलाश पर्वत की बर्फ पिघलती है, तो पुरे क्षेत्र में डमरू की आवाज सनुाई देती है।
माना जाता है कि कैलाश एक तरफ स्फटिक,दसूरी तरफ माणिक, तीसरी तरफ सोना और चौथी तरफ नीलम से बना हुआ है। कहा जाता है कि कैलाश 6 पर्वत श्रखंलाओं के बीच कमल के फूल जैसा दिखता है।
जब नासा ने सॅटॅलाइट द्वारा कैलाश पर्वत की तस्वीर ली, उसे देखकर न सिर्फ नासा बल्कि पूरा विश्व हिल गया क्युकी उस तस्वीर में कैलाश पर्वत पर साक्षात् भगवान शिव का चेहरा दिखाई दे रहा था।
इस अद्भतु यात्रा में हमने आपको बताया कैलाश पर्वत के रहस्यों और महत्व के पीछे की अनगिनत कहानियों के बारे में |