आखिर क्यों माता लक्ष्मी बनी गरीब के घर नौकरानी ? 

लेकिन क्या आप जानते है कि एक बार माता लक्ष्मी को 3 वर्ष के लिए एक गरीब के घर नौकरानी बनकर रहना पड़ा था ?

इस पौराणिक कथा के बारे में जानने के लिए अंत तक जुड़े रहे |

माता लक्ष्मी बनी गरीब के घर नौकरानी

माता लक्ष्मी बनी गरीब के घर नौकरानी


एक बार भगवान विष्णु शेषशैय्या पर बैठे विचार कर रहे थे कि उन्होंने बहुत समय से पृथ्वी का भ्रमण नहीं किया और ऐसा विचार कर वह शेषशैय्या से उठ खड़े हुए |

भगवान को शेषशैय्या से उठ खड़ा देख माता लक्ष्मी बोली हे प्रभु! आप कहा जा रहे है ?

भगवान विष्णु बोले हे देवी! बहुत समय से मैंने पृथ्वी का भ्रमण नहीं किया इसलिए आज मैं पृथ्वी लोक पर जा रहा हूँ |

माता लक्ष्मी बोली हे प्रभु! क्या मैं भी आपके साथ पृथ्वी लोक में चल सकती हूँ ?

माता के ऐसे वचन सुन भगवान मुस्कुराते हुए बोले ठीक है, आप भी मेरे साथ पृथ्वी लोक पर जा सकती हो किन्तु एक बात का समरण रहे, आपको पृथ्वी लोक पर उत्तर की ओर नहीं देखना है |

माता लक्ष्मी ने प्रभु की बात मान ली और वह दोनों आकाश मार्ग से होते हुए पृथ्वी लोक पर आगए |

जब वह पृथ्वी लोक पर पहुंचे उस समय सूर्य उदय का समय था और पिछली रात को वर्षा होने के कारण पृथ्वी की सुंदरता अपनी चरम सीमा पर थी | माता लक्ष्मी पृथ्वी की सुंदरता को देख मोहित हो गई और भगवान को दिया वचन भूल गई |

वचन को भूल माता ने उत्तर दिशा की ओर देखा तो वहाँ बहुत सुन्दर फूलों का बगीचा था, जिसमे विभिन्न-विभिन्न प्रकार के बहुत सुन्दर फूल लगे थे | जिसे देख माता खुद को रोक नहीं पायी और बगीचे में चली गई और एक सुन्दर फूल तोड़ कर भगवान विष्णु के समक्ष आकर बोली हे प्रभु! ये देखिए कितनी सुन्दर फूल है |

ऐसा कहकर जब माता ने भगवान की ओर देखा तो भगवान विष्णु की आँखों में आंसू थे |

यह देख माता लक्ष्मी बोली प्रभु! आपकी आँखों में आंसू क्यों है ?

भगवान विष्णु बोले देवी! आप पृथ्वी की सुंदरता को देख अपना वचन भूल कर उत्तर दिशा की ओर चली गई और वहाँ जाकर तुमने बिना किसी से आज्ञा लिए बगीचे से फूल तोड़ लिया, जो कि पाप है |

माता लक्ष्मी को अपनी गलती का एहसास हो गया और वह भगवान से क्षमा मांगने लगी |

भगवान बोले देवी आपने पाप किया है, इसलिए आपको 3 वर्ष के लिए उस बगीचे के माली के यहाँ नौकरानी बनकर रहना पड़ेगा और उसके पश्चात् आप वापस बैकुंठ धाम आ सकती है |

माता लक्ष्मी ने चुपचाप भगवान विष्णु की बात मान ली और गरीब लड़की का वेश धारण कर माली के घर की ओर चल पड़ी | उधर भगवान विष्णु भी बैकुंठ लोक को प्रस्थान कर गए |

माली का नाम माधव था, वह बहुत गरीब था और टूटी-फूटी झोपडी में अपनी स्त्री, तीन बेटियों और दो बेटो के साथ रहता था | गरीब होने के कारण उसका गुजारा बहुत मुश्किल से होता था और उसके पास धन कमाने का एकमात्र साधन वह छोटा सा बगीचा ही था. जिसमे वह दिन-रात काम करता और फूलों को बेचकर अपने घर का गुजारा मुश्किल से कर पाता |

माता लक्ष्मी गरीब लड़की के रूप में उस माली के पास पहुंची | माली बहुत अच्छा इंसान था और उस लड़की की ऐसी हालत देख बोला बेटी तुम कौन हो ? और यहाँ क्यों आई हो ?

तब माता लक्ष्मी गरीब लड़की के रूप में बोली मैं बहुत गरीब हूँ, मेरा कोई अपना इस दुनिया में नहीं है और मेरे पास तो खाने के लिए खाना व् रहने के लिए कोई स्थान भी नहीं है | कृपया आप मुझे अपने घर में आश्रय दे दीजिये, मैं वहाँ रहकर आपके घर का सारा काम भी कर दिया करुँगी |

माली उस गरीब कन्या की बात सुनकर भावुक हो गया और बोला बेटी हमारे घर का गुजारा तो वैसे ही बहुत मुश्किल से चलता है, हम सब तो रूखी सुखी रोटी खा कर अपना जीवन व्यतीत कर रहे है | यदि तुम हमारी तरह ही रूखी सुखी रोटी खा कर अपना जीवन व्यतीत करना चाहती हो तो, मैं समझ लूंगा कि मेरी 3 की जगह 4 बेटियाँ है |

माता ने माली की बात मान ली और माली की झोपडी में प्रवेश कर गई | माली भी अपनी एक नई बेटी को पाकर बहुत प्रसन्न हो गया | माली का पूरा परिवार भी माता को अपने घर के सदस्य की तरह मानने लगा | माता घर का व् बगीचे का काम माली संग करती |

माता के माली के घर आने के पश्चात माली की तो मानों किस्मत ही पलट गई, उसकी आय दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी | सर्वप्रथम उसने एक गाय खरीद ली, उसके कुछ समय पश्चात उसने अपना घर भी पक्का बना लिया और धीरे-धीरे काफी जमीन भी खरीद ली |

माली के मन यह विचार तो चलता ही रहता था कि जब से मेरी यह मुँहबोली बेटी आई है, तब से मेरी किस्मत ही पलट गई है |

समय बीतते-बीतते 3 वर्ष पूर्ण हो गए और एक दिन जब माली अपने घर वापस आया तो उसने अपने घर के बाहर एक देवी को स्वर्ण आभूषण पहने हुए देखा, जिन्हे देखने के बाद माली आश्चर्यचकित रह गया | थोड़ा ध्यान से देखने के बाद उसने देखा, यह तो उसकी मुँहबोली बेटी है, वह समझ गया कि माता लक्ष्मी उसके घर गरीब कन्या के रूप में रह रही थी |

यह सोच उसने अपने सारे परिवार को बाहर बुलाया और रोता हुआ माता के चरणों में गिर गया और बोला हे माता! कृपया मुझ जैसे मुर्ख को क्षमा कर दीजिये, जिसने अज्ञानता से आप जैसी देवी से अपने घर के व् बगीचे के सारे काम करवाएं |

माता मुस्कुराते हुए बोली माधव तुम बहुत अच्छे और साफ़ मन के मनुष्य हो, तुम्हारे घर की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के बाद भी तुमने एक गरीब लड़की को आश्रय दिया और उसे अपनी बेटी के समान माना |

माधव मैं तुम्हारे द्वारा किए गए कर्म से बहुत प्रसन्न हूँ और तुम्हे आशीर्वाद देती हूँ कि तुम्हारे घर परिवार में कभी भी सुख, शांति व् समृद्धि की कमी नहीं रहेगी |

ऐसा कहकर माता अपने रथ पर बैठ कर भगवान विष्णु के पास बैकुंठ लोक चली गई |

आशा करते है कि हमारी प्रस्तुति आपको काफी पसंद आई होगी | धन्यवाद |

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