कौन है माता लक्ष्मी का अवतार: क्या आप जानते हैं कि राधा का विवाह श्री कृष्ण से हुआ था? क्या आप जानते हैं कि विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण हैं तो फिर माता लक्ष्मी जी का अवतार कौन है, राधा रानी हैं या माता रुकमणि ? आज आप सभी के लिए लेकर आया हूं एक ऐसी रहस्यमई और अद्भुत जानकारी जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे।
कौन है माता लक्ष्मी का अवतार
दोस्तों आप सभी ने यह बात सुनी होगी की श्री राधा रानी जी श्री कृष्ण जी की प्रेमिका थी, वहीं माता रुकमणि जी श्री कृष्ण जी की पत्नी थी।
राधा और रुकमणि दोनों ही माता लक्ष्मी के अंश माने जाते हैं। कई धर्म ग्रंथों में माता रुकमणि का जन्म गर्भ से होने से उन्हें दैहिक महालक्ष्मी तो श्री राधा रानी का जन्म दिव्य अलौकिक होने से उन्हें आत्मिक लक्ष्मी के रूप में वर्णन किया गया है।
रुकमणि का जन्म जरूर विदर्भ के एक साधारण से राजा भिष्मक के यहां हुआ था। रुकमणि ने माता के कोख से जन्म लिया था।
पूरे भारतवर्ष में दीपावली के शुभ अवसर पर श्री लक्ष्मी जी की पूजा होती है। श्री लक्ष्मी विष्णु जी की अर्धांगनि हैं।
श्री विष्णु जी जगत के कल्याण के लिए कभी श्री कृष्ण तो कभी श्री राम के रूप में अवतार लिए। ऐसे में लक्ष्मी जी का अवतार राधा थी या रुकमणि और श्री कृष्ण की पत्नी राधा थी या रुकमणि इन विषयों पर लोगों का संशय बना रहता है।
वहीं पूरे भारत वर्ष में कहने को तो कह देते हैं की श्री कृष्ण और राधा प्रेमी प्रेमिका थे और श्री कृष्ण और रुकमणि पति-पत्नी थे। श्री कृष्ण जी ने श्री राधा रानी के साथ सत्य प्रेम के वास्तविक स्वरूप को प्रत्यक्ष किया। तो वहीं श्री कृष्ण ने रूपमणि के साथ गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारियों को निभाना सिखाया।
पर रुकमणि की जगह श्री राधे कृष्ण के स्वरूप की पूजा अर्चना आज भी संपूर्ण भारत में प्रचलित है। यहां तक कि श्री कृष्ण के नाम के आगे आज भी श्री राधे का नाम लेते हुवे कहा जाता है “राधे-कृष्ण ‘
लक्ष्मी माता का महालक्ष्मी स्वरुप
माता रुकमणि जी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी ऐसा महाभारत में उल्लेखित है। रुकमणि जी को श्री कृष्ण जी से प्रेम हो गया था। रुकमणि जी ने श्री कृष्ण को मन ही मन अपना जीवन साथी मान रखा था, बस विवाह होना बांकी था।
उधर रुकमणि के बड़े भाई रुकु यह बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि रुकमणि का विवाह श्री कृष्ण से हो, क्योंकि श्रीकृष्ण से कंस का वध किया था और कंस रुकु के ज्येष्ठ भ्राता थे। रुकु चाहते थे कि रुकमणि और शिशुपाल आपस में विवाह के बंधन में बंधे।
श्री कृष्ण जी ने रुकमणि का हरण कर विवाह रचाया था। उसी रुकमणि को माता महालक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है।
राधा जी और श्री कृष्ण का सम्बन्ध
कहीं कहीं पर बतलाया जाता है कि श्री कृष्ण का विवाह राधा जी से हुआ था तो इस रहस्य को विस्तार से जानने के लिए हमें श्री राधा रानी जी के पूर्व के जन्म अर्थात त्रेतायुग में जाना पड़ेगा।
दोस्तों आप सभी ने रामायण देखी होगी। जिसमे माता सीता का अपहरण रावण ने किया था।
भगवान राम का वनवास जाना पहले से ही तय था। कैकई तो बस निमित्त बनी उस होनी को घटित होने के लिए। सोचिए जरा अगर भगवान श्री राम जी को वनवास ना हुआ होता। तो रावण जैसे दुष्ट पापी राक्षस का वध कैसे होता।
रावण ने जिस सीता का हरण किया था वह माया की छाया अर्थात नकली सीता थी।
सीता का अपहरण होने के पहले प्रभु श्री राम जी के द्वारा असली सीता को अग्नि में प्रवेश करवा दिया गया था और अग्नि से माया की छाया से बनी नकली सीता बाहर आई थी। माया की छाया से बनी नकली सीता का ही हरण रावण ने किया था।
आपने यह कथा सुनी होगी कि लंका से लौटने के बाद सीता की अग्नि परीक्षा ली गई। दरलसल प्रभु श्री राम जी ने माया की छाया से बनी नकली सीता से कहा कि अब तुम्हारा किरदार यहां खत्म हुआ। अब तुम वापस अग्नि में प्रवेश कर जाओ, अब असली सीता का किरदार यहां से पुनः शुरू होगा।
माया की छाया से बनी नकली सीता बोली हे प्रभु! कुछ समय के लिए आपकी अर्धांगनी का किरदार निभाने से मुझे परम आनंद की अनुभूति हुई। सचमुच में आपका साथ निभाने का सौभाग्य प्राप्त होता, तब मैं तो धन्य हो जाती प्रभु।
तब प्रभु श्री राम जी ने माया की छाया वाली नकली सीता को किसी जन्म में साथ निभाने का वचन दिया था।
कहा जाता है कि जितने वर्षों के लिए माया की छाया वाली नकली सीता ने सीता जी की जगह किरदार निभाया उतने ही वर्षों के लिए द्वापरयुग में उन्हें श्री कृष्ण की प्रेमिका श्री राधा रानी के रूप में किरदार निभाने का अवसर प्राप्त हुआ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा जी कौन थी?
कृष्ण के बाएं अंग से एक कन्या प्रकट हुई थी, जिन्हें आगे चलकर श्री कृष्ण की प्रेमिका राधा के रूप में जाना गया।
राधा और कृष्ण का विवाह तो अनादि है। अगर बात करें द्वापरयुग की तो इस युग में भी श्री कृष्ण ने श्री राधा से विवाह किया था। जिस बात का साक्ष्य आज भी ब्रज चौरासी कोस के बांडेर वट में मौजूद है। जहां भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का विवाह स्वयं ब्रह्मा जी के द्वारा संपन्न हुआ था।
श्री कृष्ण को राधा जी का और श्री राम को सीता जी का वियोग क्यों सहना पड़ा?
कई लोगों को ऐसा लगता हैं कि आखिरकार विष्णु जी को क्यों श्री राम अवतार में सीता जी से अलग होना पड़ा, वहीं श्री कृष्ण के अवतार में श्री राधा से अलग होना पड़ा| उनसे ऐसे क्या कर्म हुए थे जिनके फलस्वरूप उन्हें दोनों ही अवतार में वियोग सहना पड़ा।
रामचरित मानस के बालकांड के अनुसार
जब लक्ष्मी जी का स्वयंवर हो रहा था। उस वक्त नारद जी भी लक्ष्मी को वरने निकले थे। उससे पहले नारद जी विष्णु जी के पास गए और उनसे कहा कि प्रभु! आपका रूप बहुत सुंदर है। क्या आप मुझे अपने समान सुन्दर बना सकते हैं।
भगवान विष्णु ने नारद जी को बंदर की शक्ल दे दी और नारद जी लक्ष्मी जी को वरने निकल पड़े।
लक्ष्मी जी के स्वयंवर के दौरान भरी सभा में नारद जी के बंदर स्वरूप मुखड़े को देखकर सब उनका मजाक उड़ाते हुए उन पर बहुत हंसने लगे। तब नारद जी ने विष्णु जी को श्राप दिया कि जिस तरह आपकी वजह से मेरी मन पसंद स्त्री से विवाह करने की अभिलाषा मन में ही दबी रह गई। बिल्कुल उसी तरह आपको भी वह दुख वह पीड़ा सहनी पड़ेगी |
जिसके ही फलस्वरूप विष्णु जी ने जब राम अवतार लिया तो सीता का वियोग सहना पड़ा और वहीं जब विष्णु जी ने कृष्ण अवतार लिए तो श्री राधा जी के साथ वियोग सहना पड़ा।