सीता माता ने क्यों दिया गाय, कौवे, ब्राह्मण, फल्गु नदी और तुलसी को श्राप?: आखिर ऐसी क्या वजह थी जिसके कारण सीता माता ने क्रोध में आकर गाय, कौवे, ब्राह्मण, फल्गु नदी और तुलसी को श्राप दे दिया था और वो भी ऐसा श्राप जिसका प्रभाव स्पष्ट रूप से आजतक भी देखा जा सकता है|
आज हम आपको रामायण से जुडी इस अनसुनी कथा के बारे में बताएँगे |
भगवान् श्री राम और सीता माता को 14 वर्ष का बनवास
Mata Sita Story In Hindi: ये कथा त्रेता युग की है जब भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी ने भगवान् राम और माता सीता रूप में अवतार लिया था | आप सभी बहुत अच्छे से जानते है कि भगवान् राम और सीता माता को 14 वर्ष का बनवास काटना पड़ा था, और इसी कारण पुत्र वियोग में राजा दशरथ का स्वर्गवास हो गया था |
पिता के लिए पिंड दान करने हेतु बोधगया जाना
पिता के स्वर्गवास का पता चलने के बाद भगवान् राम बहुत दुखी हुए और पिता के लिए पिंड दान करने हेतु माता सीता और लक्ष्मण संग फल्गु नदी के तट पर गए | जिसे आज के समय में हम बोधगया के नाम से जानते है |
पिंड दान के लिए जरुरी वस्तुए लाने के लिए श्री राम ने लक्मण जी को भेजा| बहुत समय बीत जाने के बाद भी जब लक्ष्मण जी वापस नहीं आये तो, भगवान् राम ने स्वयं लक्ष्मण जी की खोज खबर लेने का निर्णय किया |
सीता माता ने किया राजा दशरथ का पिंडदान
दोनों भाइयो के आने में विलम्भ होने के कारण पिंड दान का समय निरंतर निकलता जा रहा था |
तभी राजा दशरथ ने स्वयं दर्शन दिए और कहने लगे कि उन्हें बहुत भूख लगी है |
सीता माता ने बड़े आदर के साथ राजा दशरथ से निवेदन किया कि उन्हें उनके पुत्रो के आने तक प्रतीक्षा करनी होगी क्युकि वो पिंडदान की सामग्री लेने के लिए गए हुए है |
राजा दशरथ ने माता सीता का निवेदन अस्वीकार कर दिया और वहाँ फल्गु नदी के किनारे की बालू यानि रेत से पिंड बनाने को कहा |
तब माता सीता ने पुरे विधि विधान के साथ अपने पिता समान ससुर राजा दशरथ के पिंड दान को समय रहते संपन्न किया | राजा दशरथ माता सीता के द्वारा किए गए कर्म से प्रसन्न होकर और माता सीता को आशीर्वाद देकर वहाँ से प्रस्थान कर गए |
माता सीता को इस बात का भी अंदेशा था कि भगवान राम और लक्ष्मण जी उनकी इस बात का विश्वास नहीं करेंगे इसलिए उन्होंने वहाँ पर उपस्थित गाय, तुलसी का पौधा, वट वृक्ष, ब्राह्मण और कौवे को इस बात का साक्षी बनने को कहा |और उन् सबने इस बात के लिए सहमति भी दी |
सीता माता ने दिया गाय, कौवे, ब्राह्मण, फल्गु नदी और तुलसी को श्राप
कुछ ही श्रण के बाद वहाँ श्री राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ आ पहुंचे|
माता सीता ने उन्हें सारा वृतांत सुनाया, किन्तु भगवान राम ने उनकी बात का विश्वास नहीं किया क्योकि शास्त्रों के अनुसार पिंड दान पुत्र ही कर सकता है और वो बहुत क्रोधित हो गए |
तब सीता माता ने सभी साक्षियों को सत्य बताने के लिए कहा, किन्तु गाय, तुलसी का पौधा,ब्राह्मण,फल्गु नदी और कौवे ने भगवान राम के क्रोध से डर से सत्य नहीं बताया|केवल वट वृक्ष ने भगवान राम को संपूर्ण सत्य बताया |
तभी राजा दशरथ की आत्मा वहाँ प्रकट हुई और उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि सीता ने विधि विधान के साथ मेरा पिंडदान किया है और मैं उस कर्म क्रिया से अति प्रसन्न हूँ | तब माता सीता का सत्य प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध हुआ |
माता सीता को उन् साक्षियों पर बहुत क्रोध आया, अतः उन्होंने उन्हें श्राप दिया |
तुलसी के पौधे को श्राप दिया कि गया की भूमि पर कभी तुलसी का पौधा नहीं होगा |
फल्गु नदी को श्राप देते हुए सीता माता ने कहा कि तुम हमेशा ऊपर से सूखी हुई दिखोगी |
गाय को श्राप दिया कि तुम्हे झूठा भोजन खाना पड़ेगा और यहाँ वहाँ भटकती रहोगी |
ब्राह्मण को श्राप दिया कि तुम हमेशा दरिद्रता में ही जियोगे और कभी संतुष्ट नहीं होंगे |
और कौवे को श्राप दिया कि तुम सदैव लड़ झगड़ कर भोजन खाओगे |
माता ने वट वृक्ष को दीर्घ आयु का आशीर्वाद दिया और गया में जो भी पिंड दान करने आएगा, वह तुमको भी पिंड दान करेगा ऐसा भी कहा | और स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु के लिए तुम्हारी पूजा करेंगी |
माता सीता के द्वारा दिया गया ये श्राप आज भी यह साक्षी भोग रहे है |