क्या सच में पति-पत्नी का 7 जन्मो का रिश्ता होता है?: दोस्तों हिंदू धर्म प्राचीन धर्मों में से एक है । इस धर्म के अनुसार सभी रिश्तो का नाता पिछले जन्मों से बताया जाता है। पर आज हम उस रिश्ते के बारे में बात करेंगे जिसके जुड़ते ही समाज में जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं और एक नए जीवन की शुरुआत होती है।
जी हां वह रिश्ता है पति और पत्नी का। इससे जुड़ी एक कहावत तो आपने भी सुनी होगी कि “जोड़ियां ऊपर वाला बनाता है”। हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एक बार अगर किसी व्यक्ति का विवाह हो जाए तो मृत्यु के बाद भी वह रिश्ता जारी रहता है।
आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि क्या ऐसा सच में होता है? तो चलिए आज जानेंगे इस सवाल का जवाब।
क्या सच में पति-पत्नी का 7 जन्मो का रिश्ता होता है?
आपने अक्सर सुना होगा कि पति-पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का होता है। चलिए एक कहानी के माध्यम से इसे समझने का प्रयास करते हैं।
भगवान शिव और माता सती की कहानी
भगवान शिव माता सती से बेहद प्रेम करते थे और इसी तरह माता सती भी अपने पति के प्रेम में इस तरह बंधी थी कि जब उनके पिता ने एक हवन के दौरान भगवान शिव का अपमान किया तो माता सती सह न सकी और उन्होंने हवन की अग्नि में कूद कर आत्मगह कर लिया।
लेकिन यह माता सती के पवित्र प्रेम की शक्ति ही थी जिसने अगले जन्म में फिर से उन्हें शिवजी से मिला दिया। वह पार्वती माता के रूप में जन्मी और उन्हें भगवान शिव को पति रूप में पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ।
पति-पत्नी के बीच के सम्बन्ध का महत्व
दोस्तों इस कथा से ऐसे संकेत मिलते हैं कि पति और पत्नी का रिश्ता केवल एक जन्म तक सीमित नहीं होता। हमारे शास्त्रों के अनुसार विवाह, पति-पत्नी के बीच एक ऐसा संबंध होता है जो जन्म जन्मांतर के लिए होता है और उसे तोड़ा नहीं जा सकता।
हिंदू धर्म में पति और पत्नी के बीच आत्मिक संबंध को ज्यादा महत्व दिया जाता है। यह संबंध धार्मिक रीति से किए गए विवाह, विवाह के वचनों और फेरों को हासिल करने से कायम होते हैं।
अग्नि के सात फेरे लेकर और ध्रुव तारे को साक्षी मानकर दोनों ही पति और पत्नी एक पवित्र बंधन में बंध जाते हैं। अगर आपके पति या पत्नी पिछले जन्म में भी आपके पति या पत्नी रहे हैं तो आपके मन में उनके लिए एक अलग ही सम्मान व प्रेम होगा जो गहराई से देखने पर समझ आता है।
पूर्व जन्म की समृतियों का प्रभाव
हिंदू धर्म के अनुसार हमारे मन में लाखों जन्मों की स्मृतियां कैद होती है। वे हमें स्पष्ट तौर पर समझ नहीं आती लेकिन उन स्मृतियों की वजह से ही हम किसी व्यक्ति या जगह को पूर्व में देखा गया मानते हैं। किसी विशेष जगह पर जाने से या किसी से मिलने पर यदि आपको ऐसा आभास हो कि आप उस व्यक्ति से पहले भी मिल चुके हैं या फिर उस जगह पर पहले भी आ चुके हैं तो इसके पीछे का कारण आपके पिछले जन्मों से जुड़ा होता है।
व्यक्ति का चेहरा भले ही बदल जाये पर उनसे मिलकर हमें एक अजीब सा एहसास होता है और कई बार हमारे संबंध इतने गहरे हो जाते हैं कि हम उन्हीं व्यक्ति विशेष के साथ जीवन गुजारना चाहते हैं।
जब हम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलते हैं जो हमारे पिछले जन्म का साथी था तो हम उनके संपर्क में आते ही उनके मन से जुड़ जाते हैं और हमें कुछ अच्छी अनुभूतियां होती है। वे दोनों व्यक्ति सहज ही एक दूसरे के प्रति आकर्षण और समर्पण से भर जाते हैं और मन में सामने वाले व्यक्ति के लिए दया, प्रेम, करुणा और उनसे बात करने के भाव आने लगते हैं।
फेरों में लिए गए सात वचनों का महत्व
फेरों के समय लिए गए सात वचनों का भी बहुत महत्व है इन वचनों के माध्यम से दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को अपने कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में बताते हैं, या यूं कहें कि जीवन में अपनी अहमियत को सुनिश्चित करते हैं।
शादी के सातों वचनों में से चार वचन लड़के के होते हैं और तीन वचन लड़की के होते हैं, इसीलिए जब लड़का और लड़की का मन आपस में जुड़ जाता है और वे एक दूसरे के प्रति प्रेम, अनुराग और आसक्ति से भर जाते हैं तब माना जाता है कि किसी भी जन्म में उनका अलग होना संभव नहीं है।
जब कोई स्त्री और पुरुष एक दूसरे से प्रेम करते हैं तो यह अटूट प्रेम उन्हे हमेशा के लिए एक हो जाते हैं।
तो दोस्तों उम्मीद करते हैं आपको अपने सवाल का जवाब मिल गया होगा और हमारी यह प्रस्तुति आपको पसंद आई होगी। नमस्कार |