राधा जी की मृत्यु कैसे हुई थी और श्रीकृष्ण ने क्यों तोड़ी थी अपनी बांसुरी?: जब भी इस पृथ्वी पर प्रेम के विषय पर बात होती है तब सबसे पहले हर किसी के मन में सिर्फ दो ही शब्द उत्पन्न होते है वो है श्री राधा कृष्ण |
राधा कृष्ण के प्रेम से संसार ने जाना की प्रेम अमर होता है और सच्चा प्रेम महत्वकांशाओ से भरा नहीं बल्कि त्याग से भरा होता है |वो एक दूसरे के कर्तव्यों को भली भांति जानते थे इसलिए उनका अनंत प्रेम होते हुए भी, उनका मिलन नहीं हो सका|
क्या आप जानते है कि भगवान श्री कृष्ण के वृंदावन से जाने के पश्चात राधा मैय्या का क्या हुआ ?
राधा जी की मृत्यु कैसे हुई थी और क्यों भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी तोड़ कर फेक दी थी ?
क्यों हुए थे राधा कृष्ण अलग?
भगवान श्री कृष्ण और राधा माता का प्रेम तब शुरू हो गया था, जब श्री कृष्ण 8 वर्ष की आयु के थे | कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के हृदय से जुडी दो ही चीज़े उन्हें अतिप्रिय थी, एक राधा और दूसरी उनकी मुरली |
वो दोनों आपस में जुडी हुई थी क्योकि जब भी श्री कृष्ण बांसुरी बजाते, राधा मैय्या उसकी धुन पर मोहित होकर भगवान के समक्ष आजाती| बांसुरी उनके प्रेम की प्रतीक है |
भगवान श्री कृष्ण और राधा मैय्या तब अलग हुए जब मामा कंस ने श्री कृष्ण और बलराम को मथुरा आने का निमंत्रण भेजा था |
मथुरा जाने से पूर्व भगवान श्री कृष्ण माता राधा से मिले और उनसे वायदा किया कि वह वापस आएंगे, किन्तु वह वापस नही आ पाए थे |
भगवान श्री कृष्ण को मथुरा जाते देख माता राधा और समस्त वृंदावनवासी बहुत दुखी हो गए थे | वहाँ जाकर उन्होंने कंस का वध किया और अपने माता-पिता को कारागार से रिहा कराया |
उसके पश्चात् उनका विवाह माता रुक्मणि से हुआ| माता रुक्मणि भी राधा मैय्या की तरह श्री कृष्ण से प्रेम करती थी |
माता रुक्मणि ने मन ही मन में भगवान श्री कृष्ण को अपना पति मान लिया था, किन्तु उनके भाई रुक्मी उनका विवाह श्री कृष्ण से नहीं बल्कि शिशुपाल से कराना चाहते थे |
माता रुक्मणि ने भगवान श्री कृष्ण को प्रेमपत्र लिखा कि अगर श्री कृष्ण ने उनके साथ विवाह नहीं किया तो, वह अपनी जान दे देंगी | उसे पढ़ भगवान श्री कृष्ण ने रुक्मी और शिशुपाल से युद्ध करके रुक्मणि से विवाह किया |
श्री कृष्ण के वृंदावन से चले जाने के बाद माता राधा का क्या हुआ था?
अब प्रश्न यह था कि भगवान श्री कृष्ण के वृंदावन से चले जाने के बाद माता राधा का क्या हुआ था और उनका विवाह किसके साथ हुआ था?
श्री कृष्ण और माता राधा के बिछड़ जाने के बाद धार्मिक ग्रंथो में राधा जी का वर्णन बहुत कम हो जाता है|
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार, राधा मैय्या का विवाह हुआ ही नहीं था| हुआ कुछ ऐसा था कि भगवान श्री कृष्ण राधा जी के पास वापस नहीं आए और माता राधा को यौवन में प्रवेश करता देख उनके माता-पिता ने उनका सम्बन्ध रायाण नामक वैश्य से निश्चित कर दिया था |
जब माता राधा को इस बारे में पता चला तो, उन्होंने अपने घर में अपनी छाया को स्थापित करके अंतर्ध्यान हो गई थी| उसी छाया से रायाण का विवाह हुआ था |
और उस छाया राधा रानी ने अपना दाम्पत्य जीवन की सारी रस्मे निभाई, किन्तु उनके मन में तो केवल श्री कृष्ण ही थे |
राधा जी का फिर से श्री कृष्ण से मिलन
क्या आप जानते है कि सीता मैय्या अपने दाम्पत्य जीवन के सभी कर्तव्य को पूर्ण के पश्चात भगवान श्री कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका गई थी |
उन्हें वहाँ पहुंच कर भगवान के विवाह होने के बारे में पता चला, किन्तु वो यह सुनकर उदास नहीं हुई क्योकि वह जानती थी कि भगवान श्री कृष्ण ने इस पृथ्वी पर जन्म किसी उद्देश्य के लिए लिया था |
जब वो दोनों एक दूसरे के समक्ष आए तो बहुत प्रसन हुए और सिर्फ अपने नेत्रों से ही बाते करते रहे | द्वारिका पूरी में राधा जी को कोई नहीं जानता था इस कारण उन्होंने भगवान कृष्ण से निवदेन किया कि उन्हें वही रहने की आज्ञा दे |
राधा जी का निवेदन सुन भगवान से उन्हें महल की देविका के रूप में नियुक्त कर दिया |
राधा मैय्या महल के सभी कार्यो को भली भाती देखती और जब भी उन्हें समय लगता भगवान के दर्शन कर लेती |
राधा जी की मृत्यु कैसे हुई थी?
भगवान के इतने पास होने के बाद भी, वह वो आध्यात्मिक जुड़ाव महसूस नहीं कर पा रही थी, जैसा वह उनसे दूर रहकर करती थी |
यह देख एक दिन वो बिना किसी को बताए रात के समय महल से अनजान जगह पर चली गई और वही पर रहने लगी |कित्नु भगवान जानते थे कि वो कहा जा रही है |
कुछ समय पश्चात् जब माता राधा खुद को वृद्ध और कमजोर महसूस करने लगी तब उन्होंने भगवान को याद किया |
भगवान श्री कृष्ण तभी वहाँ प्रकट हो गए और राधा जी को कुछ मांगने को कहने लगे कित्नु राधा रानी ने कुछ भी मांगने से मना कर दिया |
भगवान के बार बार कहने पर राधा रानी बोली कि वो आखिरी बार भगवान को बांसुरी बजाते देखना चाहती है |
राधा रानी की बात सुनने के बाद भगवान अपनी बांसुरी निकाल कर मधुर धुन बजाने लगे और राधा जी ने उस मधुर धुन को सुनते सुनते अपने प्राण त्याग दिए |
भगवान श्री कृष्ण का राधा रानी से प्रेम अमर था, किन्तु फिर भी वे उनका वियोग सहन नहीं कर पाए |
बांसुरी उनके प्रेम की प्रतिक थी इसलिए उन्होंने राधा रानी के वियोग के चलते बांसुरी को तोड़ कर दूर फेक दिया|
अब तो आप सब जान गए होंगे कि राधा जी की मृत्यु कैसे हुई थी?
माना जाता है कि राधा रानी माता लक्ष्मी का स्वरुप थी और उन्होंने पृथ्वी पर जन्म सिर्फ भगवान नारायण के साथ रहने के लिए लिया था |