हिन्दू धर्म के अनुसार शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?

शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?

मनुष्य का जीवन के परम सत्य से मुँह फेरना


कलयुग का मनुष्य छल और कपट से कमाए हुए धन और सत्ता के अहंकार में इतना अंधा हो जाता है कि अपने जीवन के अटल सत्य यानि अपनी मृत्यु तक को भूल जाता है |

उसे ऐसा लगने लगता है कि उसकी तो मानो कभी मृत्यु हो ही नहीं सकती और उसी अहंकार में वह भक्ति, ज्ञान और वैराग्य जैसे अपने जीवन के मूल उदेश्यो को पूर्ण करने में कोई रूचि नहीं रखता, जिसके कारण उसका जीते जी और मरने के बाद पतन निश्चित है |

किन कारणों से अंतिम संस्कार को टाला जा सकता है?


हिन्दू धर्म के अनुसार ऐसे कौन से कारण है जिनकी वजह से मृत शरीर का संस्कार कुछ समय के लिए टालना पड़ता है |

मनुष्य की मृत्यु सूर्यास्त के बाद होने पर

पहला कारण यह है कि यदि किसी मनुष्य की मृत्यु सूर्यास्त के बाद होती है तो, गरुड़ पुराण के अनुसार उसका अंतिम संस्कार रात को नहीं किया जा सकता, क्योकि रात को संस्कार करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती और उसे अधोगति प्राप्त होती है |

ऐसी आत्माएं प्रेत, असुर और दानव की योनि में जन्म लेती है, इसलिए रात भर उस मृत शरीर को घर में ही रखा जाता है और किसी न किसी को उसके आस पास रहना अनिवार्य होता है | अगले दिन के सूर्योदय के पश्चात अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है |

मनुष्य की मृत्यु पंचक काल में होने पर

दूसरा कारण यह है कि यदि किसी मनुष्य की मृत्यु पंचक काल में होती है, तब उसके अंतिम संस्कार को पंचक काल के समाप्त होने तक टालना पड़ता है | तब भी किसी न किसी को उस शव के आस पास रहना अनिवार्य होता है |

गरुड़ पुराण के अनुसार पंचक में किसी की मृत्यु होने के पश्चात कुल के अन्य पांच लोगो की मृत्यु होने की संभावनाएं बढ़ जाती है, उस दोष को समाप्त करने के लिए 5 कुश से बने पुतलो को भी अर्थी के साथ रख कर, पुरे विधि विधान के साथ उनका भी अंतिम संस्कार किया जाता है |

मृत व्यक्ति के पुत्र, पुत्री या कोई सगा सम्बन्धी के कही दूर पर

तीसरा कारण यह है कि यदि मृत व्यक्ति के पुत्र, पुत्री या कोई सगा सम्बन्धी कही दूर रहता हो तो, उसकी प्रतीक्षा करने के लिए अंतिम संस्कार को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है | शव के पास किसी ना किसी का होना यहाँ भी अनियार्य है |

शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?


अब हम आपको बताएँगे कि आखिर शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?

जीव-जन्तुओं से शव को बचाने के लिए

पहला कारण यह है कि अगर इंसान के मृत शरीर को अकेला छोड़ा जाये तो लाल चीटिया, रेंगने वाले नरभक्षी प्राणी या बिल्ली और कुत्ते जैसे जानवर उसे नौच कर खा सकते है और गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे में मृत आत्मा को भी यमलोक के मार्ग में ऐसी ही यातनाएं सहनी पड़ती हैं|

बुरी आत्माओं से रक्षा के लिए

दूसरा कारण यह है कि रात के समय बुरी आत्माएं बहुत सक्रिय होती है और आत्मा के शरीर से निकल जाने के बाद, शरीर खाली हो जाता है जिससे बुरी आत्मा के उसमे प्रवेश करने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती है | इस कारण भी हमारे पुराणों के अनुसार मृत शरीर को अकेला छोड़ना वर्जित है |

आत्मा का उसी घर में रहना

तीसरा कारण यह है कि गरुड़ पुराण के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के पश्चात् उसकी आत्मा, उसके अंतिम संस्कार तक उसी घर में घूमती रहती है और वो अपने सभी परिजनों को देखता रहता है | अगर उसके मृत शरीर के पास कोई भी नहीं होता तो यह देखकर उसका मन बहुत दुखी हो जाता है |

मृत शरीर से दुर्गन्ध आना

चौथा कारण यह है कि शव में से धीरे धीरे दुर्गन्ध आने लगती है, उस दुर्गन्ध को दूर करने के लिए वहाँ किसी का धुप, अगरबत्ती तथा दीपक जलाने के लिए होना बहुत जरुरी होता है |

तांत्रिक कर्म करने वाले लोगो के लिए

पांचवा और अंतिम कारण यह है कि यदि शव को अकेला छोड़ा जाए तो तांत्रिक कर्म करने वाले लोगो से वह मृत आत्मा संकट में पढ़ सकती है, इसलिए शव को अकेला छोड़ना सही नहीं माना गया है |

तो इन कारणों की वजह से शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता?

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