भगवान श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया?: महाभारत युद्ध को इस पृथ्वी पर होने वाले सभी युद्धों में से सबसे बड़ा और घातक युद्ध माना जाता है, जिसमे लाखो योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए थे |
ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण महाभारत की हर एक घटना से अवगत थे | इसका सीधा सा अर्थ यह हुआ, उन्हें सब पता था कि कौन कब और कैसे वीरगति को प्राप्त करेगा |
अब प्रश्न यह उठता है कि यदि वह युद्ध की हर एक घटना से अवगत थे, तब भी उन्होंने अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया ?
आखिर क्यों इतनी कम उम्र के बालक को रणभूमि में अकेले छोड़ दिया ?
जब-जब पृथ्वी पर पाप और अधर्म बढ़ने लगता है, तब-तब भगवान विष्णु पृथ्वी का भार उतारने के लिए अवतार लेते है और भगवान को सहयोग देने के उद्देश्य से सभी देवतागण या तो स्वयं अंशावतार लेते है या उन्हें अपने पुत्रों को भेजना पड़ता है |
भगवान श्री कृष्ण ने अभिमन्यु को क्यों नहीं बचाया?
जब भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में धर्म की स्थापना हेतु अवतार लिया, तब ब्रह्मा जी के आदेशानुसार सभी देवताओं ने भगवान की सहायता के लिए पृथ्वी पर अलग-अलग रूप में अवतार लिए |उन्ही में से एक चंद्रमा के पुत्र वर्चा भी थे, जिन्हे धरती पर जन्म लेने का अधिकार मिला था |
जैसे ही चंद्रमा को इस बात का ज्ञात हुआ उन्होंने ब्रह्मा जी का आदेश मानने से मना कर दिया और बोले मैं अपने प्राणों से प्रिये पुत्र को पृथ्वी पर नहीं भेजूंगा |
तब सभी देवताओं ने चंद्रमा को धर्म की रक्षा के लिए उनके कर्तव्यों से अवगत कराया |
देवताओं के दबाव डालने पर चंद्रमा ने विवश होकर उनकी बात तो मान ली, किन्तु उन्होंने देवताओं के समक्ष एक शर्त रख दी | उन्होंने शर्त रखी कि वर्चा ज्यादा समय पृथ्वी पर नहीं रहेगा और उसका जन्म अर्जुन के पुत्र के रूप में होगा, जिसका नाम अभिमन्यु होगा | और वह अपनी छोटी-सी आयु में बड़े-बड़े महारथिओं के समक्ष ऐसा पराक्रम दिखाता हुआ वीरगति को प्राप्त होगा, जिसकी चर्चा तीनों लोको में होगी |
यही वो कारण था जिससे ना तो वह अपनी माँ की कोख मे चक्रव्यू को तोड़ने का पूरा ज्ञान नहीं ले पाएं थे और कम आयु में अपने पराक्रम से चक्रव्यू को तोड़ते हुआ, शत्रुओं के खेमे में घुस गए थे और बहुत बहादुरी से युद्ध में अकेले ही एक पूरे दिन उन सभी योद्धाओं को रोक कर रखा था और उनसे लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए थे |
यही उसकी नियति ही थी, जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण के वहाँ उपस्थित होने के पश्चात भी वह उसके प्राण नहीं बचा सके |