आखिर श्री कृष्ण ने स्त्रियों को नमक के समान क्यों बताया?

क्या आप जानते है कि एक बार सत्यभामा से संवाद करते हुए श्री कृष्ण ने स्त्रियों को नमक के समान बताया था, ऐसा कहने के पीछे भगवान की कौनसी लीला थी ?

श्री कृष्ण ने स्त्रियों को नमक के समान क्यों बताया?

श्री कृष्ण ने स्त्रियों को नमक के समान क्यों बताया?

भगवान श्री कृष्ण की आठ पत्नियों में से सत्यभामा सबसे सुन्दर थी और उसे इस बात का बहुत घमंड भी था | श्री कृष्ण अपना सबसे ज्यादा समय सत्यभामा के साथ व्यतीत करते थे |

एक दिन सत्यभामा अपनी सुंदरता के घमंड में श्री कृष्ण से बोली हे नाथ! मैं आपको कैसी लगती हूँ ?

लीलाधर श्री कृष्ण सत्यभामा का प्रश्न सुन मंद-मंद मुस्कुराने लगे और उन्होंने सत्यभामा को उनकी महत्वता बताने के लिए एक लीला रची |
श्री कृष्ण बोले तुम मुझे नमक जैसी लगती हो |

भगवान के मुख से ऐसे वचन सुन सत्यभामा बहुत क्रोधित हो गई और बोली इस पृथ्वी की सारी सुन्दर वस्तुएँ छोड़ आपको केवल नमक ही मिला मुझसे तुलना करने के लिए |

सत्यभामा को क्रोधित देख किसी तरह श्री कृष्ण ने उन्हें शांत किया |

कुछ समय पश्चात श्री कृष्ण ने अपने महल में भोज का आयोजन किया और सत्यभामा से बोले प्रिये इस भोज को सर्वप्रथम आप ग्रहण करेंगी |

पति की आज्ञा मान सत्यभामा भोज ग्रहण करने के लिए आसान पर बैठ गई | भोज में तरह-तरह के पकवान परोसे गए थे |

सत्यभामा ने जब पहले पकवान को चखा तो उनका मुँह बन गया क्युकी उसमे तो नमक नहीं था | फिर उन्होंने दूसरे व्यंजन को चखा उसमे भी नमक ना होने के कारण वह क्रोध में लाल हो गई और चिल्लाकर बोली आज यह रसोई किसने बनाई है |

सत्यभामा को क्रोधित हुआ देख श्री कृष्ण दौड़ते हुए उनके पास आए और बोले क्या हुआ प्रिये आप इतनी क्रोधित क्यों है ?

सत्यभामा श्री कृष्ण से बोली आपने इतने भव्य भोज का आयोजन किया किन्तु रसोई बनाने वालो ने पकवानों में नमक ही नहीं डाला जिससे उनका स्वाद ही ख़त्म हो गया |

नमक के बिना व्यंजन का अर्थ ही क्या है ?

भगवान तो लीलाधर है और यह लीला भी भगवान ने ही रची थी | सब जानते हुए भी भगवान श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से कहा प्रिये यदि व्यंजनों में नमक नहीं था तो क्या हुआ ? आप ऐसे ही इन् व्जंजनो को खा लेती |

भगवान के मुख से ऐसे शब्द सुन सत्यभामा और क्रोधित हो गई |

तब श्री कृष्ण ने सत्यभामा को समझाते हुए कहा प्रिये स्मरण करो जब मैंने तुम्हारी तुलना नमक के साथ की थी और तुम उस तुलना के कारण बहुत क्रोधित भी हो गई थी |

जिस प्रकार नमक के बिना भोजन व्यर्थ है, उसी प्रकार स्त्री के बिना संसार के सभी कार्य पूर्ण नहीं हो सकते |

नमक की तरह की ही स्त्री अपने अस्तित्व को मिटा कर, अपने आचरण और प्रेम से परिवार को जीवनभर बांधे रखती है | परिवार के हर एक सदस्य को एक दूसरे से बाँध कर रखने में स्त्री का विशेष महत्व है |

स्त्री ही है जो कुल को बढाती है और सभी को अपने आदर सत्कार से खुश रखती है |

और स्त्री जल की तरह भी होती है, वह जिसके साथ मिलती है वैसा ही आचरण ग्रहण कर लेती है |

यह सब सुनने के पश्चात सत्यभामा को ज्ञात हो गया कि यह श्री कृष्ण की लीला ही थी, जो उन्होंने उन्हें समझाने के लिए रची थी |

तो इस कारण भगवान श्री कृष्ण ने स्त्रियों को पानी और नमक के समान बताया था |

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