एक कसाई की भक्ति देख प्रकट हुए भगवान विष्णु: भगवान नारायण इस सम्पूर्ण जगत के पालनहार है और कलयुग में भगवान हरि का नाम ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करके मोक्ष प्रदान करने वाला है ,यह तो हम सब जानते ही है |कलियुग में जो लोग भगवान् का सदैव मन में चिंतन करते है, भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में उन्हें दर्शन अवश्य देते है और उनका उद्धार भी करते है |
आज हम आपको कलयुग की एक ऐसी सत्य घटना के बारे में बताएँगे, जिसे सुनकर आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे | तो आइए जानते है उस कथा के बारे में |
एक कसाई की भक्ति देख प्रकट हुए भगवान विष्णु
विष्णु भक्त सदना कसाई की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में सदना नाम का कसाई रहता था | सदना बहुत शांत स्वभाव व् भगवान विष्णु का परम भक्त था, जो हर समय भगवान नारायण का नाम जपता रहता था |
यहाँ तक कि जब वह मांस को काटता या तोलता तब भी वह हरि नाम जपता रहता, जिसे देख वह के लोग उसके बारे में तरह-तरह की बाते करते देखो कैसा अधर्मी है मांस काट रहा है और भगवान का नाम ले रहा है |
लेकिन सदना बिना किसी की बात सुने हरि नाम भजन में खोया रहता |
एक दिन सदना किसी काम से गांव से बाहर जा रहा था, मार्ग में उसके पैर से पत्थर टकराया | सदना ने उस पत्थर की ओर देखा तो वो काले रंग का गोल पत्थर, बहुत चमक रहा था |
जिसे देख सदना ने मन में विचार किया कि इस सुन्दर पत्थर को तो मैं अपने साथ ले जाऊंगा और यह तो मांस तोलने के काम भी आजाएगा |
सदना इस बात से अनजान था कि वह जिसे पत्थर समझ रहा है वह तो भगवान विष्णु का शालिग्राम स्वरुप है |
प्रतिदिन की तरह सदना ने भगवान का नाम लेते हुए अपनी दूकान खोली | कुछ समय पश्चात उसकी दूकान पर एक ग्राहक 1 किलो मांस लेने आया |सदना ने मन में विचार किया कि एक किलो मांस को तोलते समय इस काले पत्थर को तराजू की दूसरी तरफ रख देता हूँ ताकि इसका वजन भी सही से पता चल सके |
भगवान की लीला से अनजान सदना ने तराजू में वो काला पत्थर रखा तो वो एक किलो मांस के बराबर हो गया |सदना समझ गया कि यह एक किलो के बराबर है | लेकिन उसके बाद जो हुआ उसे देख सदना पूरी तरह से आश्चर्यचकित रह गया, वह जितना मांस तराजू में तोलता उस काले पत्थर का वजन उतना ही हो जाता |
सदना ही नहीं बल्कि पूरा गांव उस जादुई पत्थर के बारे में बातें करने लगे | सदना भी सोचने लगा कि हो सकता है यह किसी जादूगर का पत्थर हो और रास्ते में गिर गया हो |
उधर गांव में बात होते होते, वहाँ के मंदिर के पुजारी जी के पास भी पहुंची |
पुजारी जी को भी बड़ी जिज्ञासा थी उस पत्थर को देखने की इसलिए उन्होंने उस पत्थर को दूर से देखने का निश्चय किया क्युकी वह किसी अशुद्ध जगह जाकर अपना धर्म भ्रष्ट नहीं करना चाहते थे |
पुजारी जी ने दूर से उस पत्थर को देखा उसका वजन मांस को तोलते हुए अपने आप बढ़ घट रहा था | कुछ ज्यादा ध्यान से देखने पर पुजारी जी बहुत क्रोधित हो गए और सदना के पास आकर बोले हे दुष्ट अधर्मी! तू बहुत बड़ा पापी है, तूने भगवान नारायण के स्वरुप शालिग्राम को मांस के साथ रख कर बहुत बड़ा पाप किया है |
पुजारी जी की बात सुनने के पश्चात सदना हाथ जोड़ कर पुजारी जी के चरणों में बैठ गया और बोला हे ब्राह्मणदेव! मुझसे अनजाने में ये कैसा पाप हो गया | मैं जिसे एक साधारण पत्थर समझ कर अपने साथ ले आया था, वह तो मेरे प्रभु का साक्षात् स्वरुप है और मेरे जैसे मुर्ख ने भगवान को अशुद्ध स्थान पर रख दिया |
सदना बोला पुजारी जी अब आप इस शालिग्राम को ले जाइए क्युकी इस गांव में केवल आप ही है जो विधि विधान से इनकी सेवा कर सकते है |
सदना के ऐसे वचन सुन पुजारी जी का क्रोध शांत हुआ और वह शालिग्राम को लेकर अपने घर आगए | घर आकर उन्होंने शालिग्राम को गंगाजल से धोकर पवित्र कर आसान प्रदान किया और उनकी पूजा अर्चना करना आरंभ कर दिया |
कुछ दिनों के बाद भगवान विष्णु पुजारी जी के सपने में आकर बोले मैं आपके द्वारा की गई मेरी सेवा से बहुत प्रसन्न हूँ, परन्तु मैं यह चाहता हूँ कि तुम मुझे फिर से सदना के पास छोड़ कर आओ |
भगवान के ऐसे वचन सुन ब्राह्मण बोला प्रभु कृपया आप मुझे बताएं कि मुझसे ऐसी कौनसी भूल हो गई जो आप मुझे छोड़ कर जाना चाहते है और वैसे भी वो स्थान अपने रहने लायक नहीं है | वह स्थान अशुद्ध है और वहाँ बहुत सारे जीवों का मांस और खून पड़ा रहता है |
भगवान ब्राह्मण की बात सुनकर बोले सदना मेरा परम भक्त है क्युकी वह बिना किसी लालच के सच्चे मन से हर समय मेरा नाम लेता रहता है और जो भी मुझे सच्चे मन से याद करता है मुझे उसके पास रहने में बहुत आनंद प्राप्त होता है इसलिए मैं सदना के पास ही रहना चाहता हूँ | यह कहकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए |
अगले दिन की सुबह पुजारी जी शालिग्राम को लेकर सदना के पास पहुंचे और उसे सारा वृतांत सुनाकर शालिग्राम उसे सौंप दिया | पुजारी जी हाथ जोड़ कर सदना की भक्ति को प्रणाम करने लगे |
उधर शालिग्राम को अपने पास वापस आया देख सदना बहुत भावुक होकर रोने लगा और सोचने लगा कि यदि भगवान मेरी भक्ति से प्रसन्न है तो आज के बाद मैं मांस का काम छोड़ कर भगवान की और भक्ति करूँगा, जिससे भगवान मुझपर और ज्यादा प्रसन्न हो जाएं |
तो भगवान की इस लीला से हम जान पाए कि जो मनुष्य भगवान को सच्चे मन से याद करता है, भगवान उसके पास अवश्य आते है |
आशा करते है कि हमारी प्रस्तुति आपको काफी पसंद आयी होगी|