क्या भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता?: बहुत से लोग यह सवाल पूछते हैं कि भाग्य में लिखा क्या अटल सत्य होता है? क्या उसे कुछ भी करके बदला नहीं जा सकता? हालांकि कुछ विद्वान लोग भाग्य बदलने के अलग-अलग उपाय बताते हैं, परंतु सत्य यह है कि कोई भी उपाय करने से आपके मन को तो शांति मिल सकती है या फिर आप थोड़े नुकसान से तो बच सकते हैं लेकिन असल में होता वही है जो भाग्य में लिखा होता है।
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से यह जानेंगे कि क्या सच में भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता?
अधिकतर लोग यह कहते है की भाग्य का लिखा कोई नहीं बदल सकता। इसका आधार यह है कि हमारे जीवन में जो भी घटता है वह पहले से निर्धारित होता है। हमारा जन्म कहां होगा, विवाह कब और किसके साथ होगा, मृत्यु कब कहां और कैसे आएगी, यह सब जन्म से पहले ही जीव के भाग्य में लिख दिया जाता है, इसीलिए कहा जाता है कि हर इंसान अपना भाग्य साथ लेकर आता है और उसके भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता।
चलिए इसे एक कथा के माध्यम से समझते हैं।
भाग्य का लिखा कभी नहीं मिटता (एक राजा और माली की कहानी)
एक बार एक राजा ने अपने राज्य में एक ज्योतिष को बुलाया। राजा इस बात में विश्वास नहीं रखता था कि कोई हाथ देखकर किसी का भाग्य बता सकता है। तो राजा ने अपने माली को बहुत अच्छे वस्त्र आभूषण पहनाकर ज्योतिष के सामने आने का आदेश दिया।
इतने बहुमूल्य आभूषण पहनकर माली किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा था। राजा ने ज्योतिष को माली का भाग्य बताने को कहा।
ज्योतिष ने माली का हाथ देखा और कहा कि यह व्यक्ति तो साधारण जीवन व्यतीत करने वाला है और इसके पास बस इतना ही है जिसमे इसके परिवार का गुजारा हो सके। यह सुनकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ और उसने ज्योतिष को बताया कि असल में वह व्यक्ति उसका माली ही था।
राजा ने पूछा कि क्या इस व्यक्ति का भाग्य आगे भी ऐसा ही रहेगा? जवाब में ज्योतिष ने कहा कि यह व्यक्ति जीवन भर ऐसे ही रहेगा और इसे जीवन में कभी भी धन आदि प्राप्त नहीं होगा, यह हमेशा निर्धन ही रहेगा। राजा ने कोई तर्क ना देते हुए ज्योतिष को अपने राज्य से सम्मान पूर्वक विदा किया परंतु मन ही मन राजा ने ठान लिया था कि अपने माली को धनवान बना देगा।
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अगले ही दिन राजा ने उस माली को बुलाया और कहा कि वह उसके काम से बहुत प्रसन्न है और इनाम स्वरूप उसे एक बड़ा सा तरबूज देना चाहता है। माली ने तरबूज तो ले लिया लेकिन उस दिन घर जाते समय वह बहुत ही निराश हुआ कि राजा ने उसे बस यह तरबूज ही इनाम में दिया।
उसने रास्ते में एक बुजुर्ग व्यक्ति के हाथ में वह तरबूज थमा दिया और अपनी कुटिया की ओर बढ़ गया। अगले दिन राजा ने माली को फिर बुलाया और कहा कि वह आज भी साधारण कपड़ों में क्यों आया है?
यह सुनकर माली को कुछ समझ नहीं आया, तो राजा ने बताया कि असल में उसने तरबूज के अंदर बहुत से हीरे जवाहरात छुपाए थे। यह सुनकर माली ने राजा को बताया कि उसने तो वह तरबूज किसी और को दे दिया था। राजा को ज्योतिष की बात ध्यान आ गई और उसे यह समझ आ गया कि चाहे वह कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले किंतु वह चाह कर भी उस माली के भाग्य को बदल नहीं सकता।
कभी कोई राजा से रंक बन जाता है तो कोई गरीब से राजा बन जाता है, यह सब भाग्य का ही खेल है। परंतु यह भी सत्य है कि हमारे भाग्य में जो भी लिखा है वह हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के आधार पर लिखा होता है और कर्मों का फल तो सबको ही भोगना पड़ता है।
मनुष्य अपने कर्मों के हिसाब से ही जन्म लेता है और उसी प्रकार उसकी मृत्यु भी इस जीवन में किए गए कर्मों के आधार पर ही होती है। एक इंसान के जीवन में जो भी अनुभव होते हैं वे सभी उसके कर्मों के फल स्वरूप ही घटित होते हैं, इसीलिए कहते हैं कि व्यक्ति जैसे कर्म करता है वैसे ही उसका भाग्य होता है।
एक तरह से देखा जाए तो मनुष्य ही सबसे भाग्यशाली प्राणी है क्योंकि 84 लाख योनियों के बाद बहुत मुश्किल से मानव जीवन प्राप्त होता है और मानव शरीर ही मोक्ष का द्वार भी होता है।
आपने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मनुष्य योनि कर्म योनी होती है, इसीलिए मनुष्य जीवन को दूसरों से नफरत करने में, उनको पीड़ा पहुंचाने में, पाप कर्म करने में, घमंड, ईर्षा, जलन जैसी भावनाएं रखने में व्यर्थ नहीं करना चाहिए, बल्कि एक मनुष्य को अपने इस जीवन का सदुपयोग करते हुए अपने कर्मों को सुधारना चाहिए।
आज के लिए इतना ही, आशा करते है आपको हमारी आज की यह पोस्ट पसंद आई होगी | नमस्कार।